मुजफ्फरनगर। सिखेड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र-चित्तौड़ा झाल पर आधुनिक गुड़ प्रसंस्करण इकाई के कोल्हू का गुरुवार को केंद्र के विज्ञानियों ने परीक्षण किया। आधुनिक तकनीकयुक्त गुड़ बनाने की प्रसंस्करण इकाई में नई विधियों को अपनाकर क्षेत्र के किसान भाई कम लागत में अच्छी गुणवत्तायुक्त गुड़ बनाकर दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी विज्ञानी डा. संजय कुमार ने बताया कि इस इकाई में प्रतिदिन 10 कुंतल गुड़ बनाने वाली तीन स्तरीय कड़ाहा आधुनिक भट्ठी से ठोस एवं स्वच्छ गन्ने से अधिक रस निकालकर बेहतर गुणवत्ता का गुण बनाया जा सकता है। इकाई में लगे आधुनिक कोल्हू के माध्यम से एक कुंतल गन्ने से 65 किलो रस निकाला जा सकता है, जबकि पुराने कोल्हू से मात्र 45 किलो रस प्राप्त होता है।
आधुनिक भट्ठियों का प्रयोग कर कम ऊर्जा और कम समय में गुणवत्तायुक्त गुड़ विभिन्न प्रकार के साचों में ढालकर तैयार हो जाता है, जिसे पहले तैयार करने में तीन से साढे़ तीन घंटे लगते थे। आमतौर पर गन्ने के रस को उबालने के दौरान इसकी सफाई एवं रंग को बेहतर करने के लिए कई अवांछित रसायन मिलाए जाते हैं। डा. संजय कुमार का कहना है कि 1000 लीटर गन्ने के रस की गंदगी निकालने के लिए वनस्पति शोधक दो किलो जंगली भिंडी या फालसा के रस को कड़ाहा में डालना चाहिए।
गुड़ में कठोरता बनाने के लिए मूंगफली या अरंडी का 200 मिली तेल डालना चाहिए। जब गन्ने के रस का तापमान 97 डिग्री हो जाए तो उसमें 250 ग्राम चूना डालें, जिससे गुड़ का पीएच साढ़े पांच से साढे़ छह के बीच हो जाता है, जिससे गुड़ की कठोरता ज्यादा दिन तक बरकरार रहने के साथ अधिक दिन तक संरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि आज का जमाना मूल्य संवर्धन का है। अपने गुड़ की गुणवत्ता एवं स्वाद को बढ़ाने के लिए सोठ, बादाम, मूंगफली, तिल, अलसी, हल्दी, आजवायन एवं आंवला जैसी चीजें मिलाकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।