लखनऊ. यूपी के प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद का तीसरे नंबर का बेटा असद आज दफनाया गया, लेकिन ना तो असद अहमद के जनाजे में मां शाइस्ता पहुंच पाई और ना ही अतीक अपने बेटे को देख पाया. कड़ी सुरक्षा के बीच असद सुपुर्द-ए-खाक हो गया. चार कंधों पर बेटे असद का शव था और इसी शव को एक बार देखने के लिए अतीक अहमद बार-बार मिन्नतें कर रहा था. धूमनगंज थाने में गुहार लगाता रह गया. इस सबके बीच वो खौफ भी आज दफन हो गया, जिसके साए में प्रयागराज के लोग कई दशकों तक जीते रहे और सीएम योगी आदित्यनाथ की वो सौगंध भी पूरी हो गई जब उन्होंने कहा था माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा. दावा किया जाता है कि सीएम योगी की माफिया को मिट्टी में मिलाने की कसम 15 साल पुरानी है. आइए इसके पीछे की कहानी के बारे में जानते हैं.
बता दें कि अतीक का बेटा चार कंधों पर था, कब्रिस्तान में ही जनाजा निकालने की रस्म पूरी की गई, लेकिन इस जनाजे में ना वो रौब था, ना वो हुजूम जो असद ने बचपन से अपने बाप अतीक के साथ देखा था. असद को आखिरी बार ना तो घर की चौखट नसीब हुई, ना मां शाइस्ता अपने बेटे को आखिरी बार देख पाई और ना ही नमाज-ए-जनाजा में बाप अतीक दुआ पढ़ पाया. लेकिन अतीक के गुनाहों की वजह से ही असद का ऐसा हाल हुआ. बचपन से जिस बेटे को उसने हथियारों के साथ खेलने को दिया, वही हथियार उसकी मौत की वजह बन गया. असद जब एनकाउंटर में ढेर होने के बाद जमीन पर पड़ा था तो उसके एक हाथ में मौत का वही सामान था जो खुद उसके पिता अतीक ने उसे बचपन से थमाया था. लेकिन अब वो मिट्टी में मिल चुका है.
जान लें कि आज से 15 साल पहले 7 सितंबर 2008 को जब योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ में आतंक विरोधी रैली को संबोधित करने जा रहे थे, तब उनके काफिले की गाड़ी पर पेट्रोल बम और पत्थरों से हमला हुआ था. योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर से सांसद थे. बताया जाता है कि हमलावरों ने काफिले की 7वीं गाड़ी पर हमला किया था. उन्हें लगा था कि योगी आदित्यनाथ उसी गाड़ी के अंदर हैं. हालांकि, किसी तरह योगी आदित्यनाथ बच गए थे. कहा जाता है कि तब से सीएम योगी ने यूपी से माफिया और आतंक को खत्म करने की कसम खा ली थी.
गौरतलब है कि अपने बेटे असद के जनाजे में आने के लिए अतीक रोता रहा, गिड़गिड़ाता रहा. बेटे को आखिरी बार देखने के लिए गुहार भी लगाई, लेकिन नहीं पहुंच पाया. आज अतीक के एक बेटे का ऐसा अंजाम देखकर उन तमाम माफियाओं का कलेजा मुंह को आ गया होगा जो कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर लोगों को अपनी दहशत का निशाना बनाने के मंसूबे पाल रहे हैं.