नई दिल्ली. दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे निर्माण से जुड़ी बड़ी बाधा दूर हो गई है। वन विभाग से जुड़ी उच्च स्तरीय समिति ने दिल्ली की सीमा में करीब साढ़े पांच हजार पेड़ काटने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके बाद जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है। करीब पौने दो वर्ष की देरी के बीच मंजूरी मिलने के बाद अब एनएचएआई के सामने असल चुनौती मार्च 2024 तक प्रोजेक्ट को पूरा करने की है। हालांकि पहली समय सीमा के तहत प्रोजेक्ट मार्च 2023 तक पूरा किया जाना था लेकिन पेड़ काटने को लेकर एनओसी मिलने में हुई लगातार देरी के चलते प्रोजेक्ट का काम पिछड़ गया है।
एक्सप्रेसवे के पहले चरण (दिल्ली की सीमा) में निर्माण के लिए दिसंबर 2020 में टेंडर प्रक्रिया हो चुकी थी। निर्माण कंपनी को मार्च 2021 से निर्माण शुरू करना था लेकिन पेड़ काटने को लेकर लंबे समय तक दिल्ली सरकार और एनएचएआई के बीच माथापच्ची चलती रही। डीडीए ने प्रोजेक्ट निर्माण के चलते काटे जाने वाले पेड़ों के बदले नए पेड़ लगाने के लिए दो बार जमीन आवंटित की लेकिन पहली बार जब एनएचएआई की टीम पेड़ लगाने के लिए पहुंची तो वहां पर पहले से पेड़ लगे थे। जमीन पहले से दूसरे प्रोजेक्ट को आवंटित की जा चुकी थी।
दूसरी बार आवंटित की गई जमीन पेड़ों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं थी। इसलिए उसे भी खारिज कर दिया गया। इसके बाद केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने बदरपुर बॉर्डर के पास बन रही सफारी की जमीन में कुछ हिस्सा पेड़ लगाने के लिए आवंटित किया, जिसे जांच के बाद वन विभाग ने नए पेड़ लगाने के लिए पर्याप्त माना है।
एनएचएआई को भले ही पेड़ काटने की मंजूरी मिल गई है लेकिन अभी पेड़ नहीं काटे जा सकेंगे। दिल्ली में हाईकोर्ट की तरफ से अग्रिम आदेश तक किसी भी तरह के पेड़ काटने पर रोक लगाई गई है। इसलिए जब हाईकोर्ट आदेश जारी करेगा, उसके बाद ही पेड़ काटे जा सकेंगे। संभावना है कि जुलाई के पहले हफ्ते तक इस पर कुछ सहमति बन सकती है।
पेड़ काटने और दूसरी जगह लगाने व नए पौधे लगाने का पूरा खर्च एनएचएआई उठाएगी। समझौते के तहत नए पौधों का रखरखाव भी एनएचएआई के जिम्मे होगा। सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद काम में देरी न हो। इसके लिए दिल्ली और यूपी के संबंधित जिलों के साथ पत्राचार शुरू कर दिया है।
पहला- अक्षरधाम से यूपी बॉर्डर। 14.75 किलोमीटर लंबे इस हिस्से के निर्माण र करीब 1300 करोड़ खर्च होगा।
दूसरा- यूपी बॉर्डर से बागपत बॉर्डर तक। 16.85 किलोमीटर लंबे इस हिस्से का निर्माण करीब 1100 करोड़ रुपये में होना है।