नई दिल्ली. यूरिक एसिड टेस्ट को सीरम यूरिक एसिड मेजरमेंट भी कहा जाता है. इस टेस्ट से यह जाना जाता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में कितना यूरिक एसिड मौजूद है. इसके साथ ही इस टेस्ट से यह पता चलने में भी मदद मिलती है कि व्यक्ति का शरीर कितनी अच्छी तरह से यूरिक एसिड को प्रोड्यूज और रिमूव कर रहा है. यूरिक एसिड एक केमिकल है, जो तब प्रोड्यूज होता है जब हमारा शरीर उस फूड को ब्रेक डाउन करता है, जिनमें प्यूरिन नामक आर्गेनिक कंपाउंड्स होते हैं. सबसे पहले जानिए कि यह टेस्ट क्यों किया जाता है? इस बारे में विस्तार से जान लीजिए.
हेल्थलाइनके अनुसार अधिकतर यूरिक एसिड ब्लड में डिजॉल्व और किडनी में फिल्टर होने के बाद यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है. लेकिन कई बार शरीर में इतना अधिक यूरिक एसिड बन जाता है कि वो शरीर में जम जाता है. यूरिक एसिड टेस्ट तीन स्थितियों में किया जाता है. पहला गठिया के निदान में मदद के लिए. दूसरा लगातार हो रही किडनी स्टोन्स के कारणों के बारे में जानने के लिए. तीसरा कैंसर ट्रीटमेंट से गुजर रहे रोगियों में यूरिक एसिड लेवल को मॉनिटर करने के लिए.
टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लेने की प्रक्रिया को वेनिपंक्चर कहा जाता है. इस टेस्ट के लिए रोगी की कोहनी के इनर पार्ट या हाथ के पिछले हिस्से की नस से ब्लड लिया जाता है. इस ब्लड को कलेक्ट करने के बाद एनालिसिस के लिए लेबोरेटरी में भेज दिया जाता है. ब्लड के अलावा यूरिन का सैंपल ले कर भी यूरिक एसिड यूरिन टेस्ट किया जा सकता है.
अगर इस टेस्ट के रिजल्ट में यूरिक एसिड लेवल ज्यादा आता है तो किडनी डिजीज, प्रीक्लेम्पसिया, प्यूरिन रिच डायट का सेवन, अधिक एल्कोहल का सेवन, कैंसर ट्रीटमेंट का साइड इफेक्ट, डायबिटीज या गठिया जैसी वजह हो सकती हैं.
विल्सन’स डिजीज, फैंकोनी डिजीज, एल्कोहोलिज्म, लिवर या किडनी डिजीज या लो प्यूरिन डाइट की कंडीशन में ही यूरिक एसिड लेवल नॉर्मल से कम आता है. हाई यूरिक एसिड लेवल वाले कुछ लोगों को गठिया या अन्य किडनी डिसऑर्डर नहीं होते हैं. ऐसे में अगर किसी डिजीज के लक्षण नहीं हैं तो ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती. अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से बात अवश्य करें.