हरिद्वार. नाटकीयता भरे दिन में साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवान मंगलवार को गंगा नदी में अपने ओलंपिक और विश्व पदक विसर्जित करने सैकड़ों समर्थकों के साथ हरिद्वार पहुंचे, लेकिन खाप और किसान नेताओं के मनाने पर ऐसा नहीं किया, हालांकि अपनी मांगे मानने के लिये पांच दिन का समय दिया है. प्रदर्शन कर रहे पहलवान जैसे अपने विश्व और ओलंपिक पदक गंगा नदी में बहाने को तैयार हुए वैसे ही ‘हर की पौड़ी’ पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. साक्षी, विनेश और उनकी चचेरी बहन संगीता के समर्थकों ने उनके चारों ओर घेरा बनाया हुआ था.
पहलवान ‘हर की पौड़ी’ पहुंचकर करीब 20 मिनट तक चुपचाप खड़े रहे. फिर वे गंगा नदी के किनारे अपने पदक हाथ में लेकर बैठ गए. बजरंग 40 मिनट बाद वहां पहुंचे. विनेश के पति सोमबीर राठी के पास एशियाई खेलो में विनेश के जीते पदक थे. साक्षी के हाथ में रियो ओलंपिक का कांस्य पदक था. खाप और राजनेताओं के अनुरोध के बाद करीब पौने दो घंटे यहां बिताने के बाद पहलवान वापिस लौट आए. किसान नेता शाम सिंह मलिक और नरेश टिकैत ने मामले को सुलझाने के लिये पहलवानों से पांच दिन का समय मांगा है.
पहलवानों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि एक भाजपा नेता के फोन कॉल और परिवारों के दबाव की वजह से उन्होंने गंगा में मेडल बहाने को लेकर अपना मन बदला. एक पहलवान ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘हमें आश्वासन दिया गया कि हमारी मांगें मानी जाएंगी, इसलिए हम पीछे हट गए. हालांकि, अगर सरकार अपने वादे से मुकरती है, तो हम फिर से गंगा में लौट आएंगे.’ ‘हर की पौड़ी’ से पहलवानों के लौटने के बाद नरेश टिकैत ने कहा, ‘हमने पांच दिन का समय मांगा है और पहलवानों से इंतजार करने को कहा है. उसके बाद हम महापंचायत करेंगे और आगे की कार्रवाई करेंगे.’
समझा जाता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक केंद्रीय मंत्री भी पहलवानों के पास पहुंचे थे और उनसे अपने पदक ‘विसर्जित’ नहीं करने का आग्रह किया था. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बात करते हुए टिकैत ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पहलवान गुस्से में कोई कदम न उठाएं. उन्होंने कहा, ‘बच्चे गुस्से में वहां चले गए… हमने उन्हें मना किया कि आप ऐसा मत करो…’ यह पूछे जाने पर कि पहलवानों को अपनी कार्रवाई स्थगित करने के लिए कहने से पहले क्या उन्होंने सरकार से बात की थी, उन्होंने जवाब दिया, ‘नहीं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह पहलवानों के साथ दिल्ली लौटेंगे, उन्होंने कहा, ‘हम इस पर चर्चा करेंगे.’
दिल्ली पुलिस द्वारा 28 मई को हिरासत में लिए गए और जंतर-मंतर में धरना स्थल से हटाए गए देश के शीर्ष पहलवानों ने मंगलवार को कहा कि वे इंडिया गेट पर ‘आमरण अनशन’ पर बैठेंगे. इस बीच दिल्ली पुलिस ने कहा कि वे इंडिया गेट पर पहलवानों को प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि यह राष्ट्रीय स्मारक है, प्रदर्शन करने की जगह नहीं. साक्षी ने कहा, ‘इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी. हम उनके जितने तो पवित्र नहीं हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी.’
बीते रविवार को दिल्ली पुलिस ने साक्षी के साथ विश्व चैंपियनशिप की कांस्य विजेता विनेश फोगाट और एक अन्य ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया को हिरासत में लिया और बाद में उनके खिलाफ कानून और व्यवस्था के उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज की. जंतर-मंतर पर ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेताओं को दिल्ली पुलिस ने जबरदस्ती बस में डाला जब रविवार को पहलवानों और उनके सामर्थकों ने सुरक्षा घेरा तोड़कर महिला ‘महापंचायत’ के लिए विरोध करने वाले पहलवानों और उनके समर्थकों को राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न स्थानों पर ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया.नए संसद भवन की ओर बढ़ने की कोशिश की.
पहलवानों को नए संसद भवन की ओर बढ़ने की अनुमति नहीं थी. इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसका उद्घाटन करना था और पुलिस ने जब पहलवानों और उनके समर्थकों को रोका तो उनके बीच धक्का-मुक्की भी हुई. विरोध करने वाले पहलवानों और उनके समर्थकों को राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न स्थानों पर ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया.
दूसरी ओर, किसानों के संगठन ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे पहलवानों के समर्थन में एक जून को देशव्यापी प्रदर्शन करने का मंगलवार को आह्वान किया. सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप है. एसकेएम ने एक बयान में कहा कि उसने ‘भारतीय पहलवानों तथा समाज के सभी अन्य वर्गों के प्रदर्शन करने के लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा’ करने और ‘भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग’ के लिए देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया है.