बागपत । रालोद और भाजपा की नजदीकियों को लेकर सियासत गर्म है। वहीं अखिलेश के किसानों को लेकर दिए गए बयान पर जयंत चौधरी ने अपने एक्स अकाउंट से जवाब पोस्ट करते हुए लिखा है कि किसान भोले हैं लेकिन मूर्ख नहीं हैं।
इंडिया गठबंधन को एक और बड़ा झटका लगना तय है। रालोद के एनडीए में जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। दिल्ली में जयंत चौधरी ने भाजपा नेताओं से मुलाकात की है। मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर सपा और रालोद के बीच दूरियां बन गई। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया चौधरी जयंत सिंह न सिर्फ भाजपा के संपर्क में हैं, बल्कि तीन सीटों पर सहमति होने का भी दावा किया जा रहा है।
चर्चाओं ने जोर पकड़ा तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं। वो बहुत पढ़े लिखे हैं। वे राजनीति को समझते हैं। मुझे उम्मीद है कि किसानों की लड़ाई के लिए जो संघर्ष चल रहा है, वे उसे कमज़ोर नहीं होने देंगे।
इससे पहले शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि जयंत चौधरी हमारे साथ हैं। वह कहीं नहीं जा रहे हैं। भाजपा के लोग अफवाह उड़ा रहे हैं।
वहीं सपा मुखिया के बयान के जवाब में रालोद पार्टी के एक्स अकाउंट से एक पोस्ट साझा की गई जिसमें लिखा है कि हमारे किसान भोले जरूर हैं पर मूर्ख नहीं हैं। वे बहुत समझदार हैं और सशक्त हैं।
भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। सीटें चिह्नित करने और सपा की ओर से तीन सीटों पर रालोद के चुनाव निशान पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की शर्त पर पेच फंस गया।
सपा चाहती है कि कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो रालोद के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे। सपा के समक्ष मुजफ्फरनगर सीट पर रालोद ने दावा ठोका था, जहां बीते चुनाव में दिवंगत अजीत सिंह महज छह हजार मतों से हार गए थे।
रालोद नेताओं ने कैराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी। लेकिन मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर दोनों दलों के बीच दूरियां बन गईं। इसी दौरान चर्चा शुरू हो गई कि रालोद अध्यक्ष की भाजपा से गठबंधन की बात हुई है।
बातचीत की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन सियासी गलियों में सबने अपने-अपने समीकरण लगाने शुरू कर दिए। रालोद नेतृत्व ने अभी तक न तो इन्कार किया और न ही इकरार, जिस कारण चर्चाओं ने दिनभर तेजी पकड़ी।