शामली में AK-47 के साथ दबोचा गया अनिल बालियान उर्फ पिंटू 2015 में मुजफ्फरनगर के कोर्ट परिसर में हुए विक्की त्यागी हत्याकांड का मास्टरमाइंड रहा है। मुख्य आरोपी सागर के भाई सौरभ मलिक के बयानों से अनिल का नाम प्रकाश में आया था। सागर ने बताया था कि अनिल ने ही रंजनवीर से 50 लाख में विक्की त्यागी हत्याकांड की डील कराई थी।
अनिल बालियान उर्फ पिंटू को कुख्यात बनने में काफी समय लगा। किसानों की राजधानी कहे जाने वाले कस्बा सिसौली के करीब के गांव माजरा सदरुद्दीन निवासी अनिल बालियान उर्फ पिंटू का शुरुआती जीवन काफी साफ था। भाकियू सचिव कृपाल सिंह का भतीजा अनिल उर्फ पिंटू शुरुआती दिनों में टिकैत परिवार के काफी करीब रहा।
अनिल उर्फ पिंटू को 16 फरवरी 2015 में हुए विक्की त्यागी हत्याकांड में सीधे तौर से नामजद नहीं किया गया था। लेकिन सीबीसीआइडी ने हत्याकांड की विवेचना संभाली तो मुख्य आरोपी सागर मलिक के भाई सौरभ मलिक ने सीबीसीआइडी से हत्याकांड के 20 माह बाद 18 नवंबर 2016 को अनिल उर्फ पिंटू का नाम पहली बार लिया था।
सीबीसीआइडी की जांच में सामने आया था कि विक्की त्यागी हत्याकांड की डील अनिल उर्फ पिंटू ने ही कराई थी। अनिल उर्फ पिंटू विक्की त्यागी हत्याकांड का मुख्य आरोपी सागर मलिक का दोस्त है। सागर ने ही अनिल की शादी कराई थी। जिसके बाद अनिल ने सागर की मुलाकात रंजनवीर से कराई थी। विक्की त्यागी की हत्या के लिए 50 लाख रुपये की आफर की गई थी। सागर के भाई सौरभ ने ये बयान सीबीसीआइडी को दिये थे।
विक्की त्यागी हत्याकांड में प्रकाश में आने के बाद अनिल बालियान उर्फ पिंटू करीब 5 वर्ष तक फरार रहा। 3 अक्टूबर 2020 को शहर कोतवाली पुलिस ने अनिल उर्फ पिंटू को काली नदी पुल से तमंचे के साथ दबोच लिया था। जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था। पहले सीजेएम कोर्ट तथा बाद में 27 नवंबर 2020 को जिला जज राजीव शर्मा की कोर्ट से भी अनिल की जमानत खारिज हो गई थी। हाईकोर्ट से जमानत पाकर अनिल जेल से रिहा हुआ था। लेकिन उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला था। हांलाकि पांच साल की फरारी के दौरान अनिल जिले में रसूखदारों के साथ ठेकेदारी करता रहा था। लेकिन पुलिस उस पर हाथ डालने से हिचकती रही।