नई दिल्ली। अगले साल होने वाले वनडे विश्व कप के लिये अगर आइसीसी के प्रसारण राजस्व पर 21.84 प्रतिशत कर अधिभार लगाने के अपने फैसले पर केंद्र सरकार अडिग रहती है तो बीसीसीआई को करीब 955 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। भारत में अगले साल अक्टूबर नवंबर में 50 ओवरों का विश्व कप होना है। कर अधिभार के मायने हैं कि शुरुआती कीमत से इतर किसी वस्तु या सेवा पर अतिरिक्त फीस या कर लगाना। यह आमतौर पर मौजूदा कर में जोड़ा जाता है और किसी वस्तु या सेवा की दर्शाई गई कीमत में शामिल नहीं होता।
आइसीसी के चलन के अनुसार मेजबान देश को सरकार से वैश्विक टूर्नामेंटों के आयोजन के लिए कर में रियायत लेनी होती है। भारत के कर नियमों में इस तरह की छूट का प्रविधान नहीं है। 2016 में टी-20 विश्व कप की मेजबानी में भी बीसीसीआई को ऐसी छूट नहीं मिली थी और उसे 193 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। यह मामला अभी आइसीसी ट्रिब्यूनल में लंबित है। बोर्ड की 18 अक्टूबर को होने वाली एजीएम से पहले प्रदेश इकाइयों को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि आइसीसी वनडे विश्व कप अगले साल अक्टूबर-नवंबर में भारत में होना है।
बीसीसीआई को अप्रैल 2022 तक आइसीसी को कर छूट के बारे में बताना था। आइसीसी ने समयसीमा बढ़ाकर 31 मई कर दी थी। बीसीसीआई ने इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में आइसीसी को बताया था कि 10 प्रतिशत कर (अधिभार के अलावा) देना पड़ सकता है।’ रिपोर्ट में कहा गया कि अगर 21.84 प्रतिशत कर चुकाना पड़ा तो आइसीसी से बोर्ड के राजस्व पर इसका विपरीत असर पड़ेगा।
बीसीसीआई कर अधिभार मौजूदा 21.84 प्रतिशत से घटाकर 10.92 प्रतिशत लाने के लिए बातचीत कर रहा है। अगर ऐसा हो पाता है तो उसे राजस्व में 430 करोड़ रुपये नुकसान होगा। आइसीसी के 2016 से 2023 के बीच के राजस्व पूल में बीसीसीआई का हिस्सा करीब 3336 करोड़ रुपये है। आइसीसी को भारत में 2023 में होने वाले इस टूर्नामेंट के प्रसारण से 4400 करोड़ रुपये राजस्व मिलने की उम्मीद है।