नई दिल्ली। डायबिटीज वालों को अपने खानपान से बहुत समझौता करना पड़ता है, खासतौर पर मीठे से। लेकिन आजकल मार्केट में भी हर चीज के विकल्प आ गए हैं, इसी तरह व्हाइट शुगर का विकल्प है, स्टीविया और ब्राउन शुगर। अब इन दोनों में भी कौन सा फायदेमंद है, इसे भी लेकर लोग कंफ्यूजन में हैं।
आजकल अधिकतर लोग स्टीविया और ब्राउन शुगर दोनों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। ब्राउन शुगर का इस्तेमाल लोगों के बीच ज्यादा बढ़ा है। लेकिन क्या यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकती है, यह भी एक सवाल पैदा हो गया है। इन सभी बातों को समझने के लिए पहले यह जानते हैं कि स्टीविया और ब्राउन शुगर क्या है।
दक्षिण अमेरिकी देशों में हजारों सालों से स्टीविया पौधे की पत्तियों का इस्तेमाल नेचुरल स्वीटनर के रूप में हो रहा है। इसका चलन भारत सहित दुनिया भर में होने लगा है। इसे चीनी के विकल्प में ले रहे हैं, खासतौर पर जिन्हें डायबिटीज है। ये साधारण चीनी से 200 गुणा अधिक मीठा होता है। इसकी यह खासियत दो मिश्रणों की वजह से हैं, पहला स्टीविया साइड और दूसरा रिबॉडियोसाइड।
ब्राउन शुगर सफेद चीनी की तरह गन्ने के रस से ही बनाया जाता है, लेकिन इसमें दिखने वाला भूरा रंग गुड़ मिलाने की वजह से आता है। यह व्हाइट शुगर की तरह हेल्थ के लिए हानिकारक नहीं है। लेकिन इसमें कोई विशेष विटामिन या मिनरल नहीं होता है, जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हो।
व्हाइट शुगर और ब्राउन शुगर की जगह पर स्टीविया का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल भी मेंटेन रहता है। ब्राउन शुगर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 65 पाया जाता है, लेकिन शोध के मुताबिक स्टीविया का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 0 होता है। जिससे स्टीविया के सेवन से ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रहता है। ब्राउन शुगर का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज की समस्या बढ़ सकती है।
स्टीविया के सेवन से आपको मिठास मिलती है, लेकिन कैलोरी नहीं बढ़ती है। इसलिए डायबिटीज के मरीज इसे ले सकते हैं। इसके सेवन से ब्लड शुगर और इंसुलिन लेवल पर भी इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
डायबिटीज के मरीज के लिए स्टीविया का सेवन नुकसानदायक नहीं माना जाता है, क्योंकि इसमें लो कैलोरी मिलती है। स्टीविया के इस्तेमाल का ब्लड शुगर, इंसुलिन लेवल, ब्लड प्रेशर और वेट मैनेजमेंट में बुरा प्रभाव नहीं डालता है। जो लोग वेट लॉस कर रहे हैं, उनके लिए भी यह मीठे की जगह एक अच्छा विकल्प है।