नई दिल्ली. इस समय इनकम टैक्स की चर्चा ज्यादा है. वजह से आईटीआर फाइल करने की लास्ट डेट नजदीक होना. इनकम टैक्स को लेकर कुछ नियम जानना महत्वपूर्ण है वरना आदमी मुश्किल में फंस सकता है. जैसे बहुत सारे लोग बड़ी मात्रा में कैश में काम करते हैं. लेकिन क्या आपको पता कितनी कैश खर्च करने की लिमिट आयकर विभाग ने तय कर रखी है. ज्यादा कैश पेमेंट करने पर आयकर विभाग पीछे पड़ जाता है.
आयकर विभाग प्रत्येक व्यक्ति के कैश ट्रांजैक्शन की निगरानी करता है. खासतौर पर हाई वैल्यू कैश ट्रांजैक्शन पर निगाह रहती है. आयकर विभाग ने बड़े कैश लेनदेन की सीमा तय की है. इस लिमिट को क्रॉस करते ही आयकर विभाग की निगाहें पर आप आ जाती है.
आयकर विभाग ने उच्च मूल्य नकद लेनदेन की जो लिमिट बताई है उसके अनुसार एक वित्तीय वर्ष में बचत बैंक खाते से 10 लाख रुपये से अधिक का लेनदेन नहीं होना चाहिए. वहीं, चालू खातों से 50 लाख रुपये से अधिक का लेनदेन करने पर आप आयकर विभाग की नजरों में आ जाते हैं.
अगर आप आयकर विभाग की ओर से तय कैश ट्रांजैक्शन की सीमा पार करते हैं तो विभाग सरकारी एजेंसियों और वित्तीय संस्थानों की मदद से आपके रिकॉर्ड को खंगालता है. इसके बाद आपको नोटिस जारी कर देता है. यह प्रक्रिया आपके लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है.
मान लीजिए आप तय सीमा से ज्यादा खर्च दिए हैं. तब ऐसी स्थिति में आपको
आयकर विभाग को सूचना देनी चाहिए. अगर आप पहले ही इनकम टैक्स फॉर्म में इसका जिक्र कर देंगे तो परेशानी से बच जाएंगे.
1- फिक्स डिपॉजिट अकाउंट 10 लाख की सीमा के पार नहीं जाना चाहिए.
2- क्रेडिट कार्ड बिल की पेमेंट 1 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए. वित्त वर्ष में 10 लाख का ट्राजैक्शन नहीं हो.
3- 30 लाख से अधिक की अचल संपत्ति की बिक्री या खरीद नहीं होना चाहिए.
4- म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड में निवेश से संबंधित नकद लेनदेन की सीमा एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.
5- एक वित्तीय वर्ष में विदेशी मुद्रा की बिक्री से 10 लाख रुपये या उससे अधिक नहीं होनी चाहिए.