लखनऊ। एनजीटी के निर्देशों के अनुसार प्रदेश सरकार ने लखनऊ समेत 13 शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि दिवाली से पांच दिन पहले पटाखा जलाने पर लगे प्रतिबंध ने कारोबारियों का दिवाला निकाल दिया। सबसे ज्यादा 1000 वह छोटे रिटेलर कारोबारी चपेट में आए जो पांच दिन में पूंजी को दोगुना करने का सपना संजोए थे।
इनमें से बहुत से लोगों ने उधार रकम लेकर पटाखे खरीदे थे। दुकानदारों को उम्मीद थी इन पटाखों के बिकने से अधिक आमदनी होगी तो लॉकडाउन के दौरान जो कर्ज लिया था, उसको उतार सकेंगे। लेकिन अब जो पटाखे खरीद कर लाए, उसका क्या करेंगे।
पटाखा पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर कई रिटेलर और होल सेलर मंगलवार शाम को कानून मंत्री ब्रजेश पाठक के आवास पर पहुंचे और उनसे राहत दिलाने का अनुरोध किया। लखनऊ पटाखा एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस प्रतिबंध से व्यापारियों को बहुत नुकसान होगा।
प्रदूषण बढ़ने के और भी कारण
अमित गुप्ता ने कहा प्रदूषण की समस्या एक दिन पटाखे न जलाने से खत्म नहीं हो जाएगी और बहुत से कारण है। पर्यावरण में प्रदूषण फैलने के लिए सरकार को पटाखे को प्रतिबंधित करने से पहले और भी प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टिरियों और गाड़ियों पर अंकुश लगाना चाहिए।
उम्मीद पर फिर गया पानी
सतनाम सिंह ने कहा कि सरकार ने अपने हिस्से का जीएसटी और दूसरे टैक्स एकत्र करके कमाई कर ली। लेकिन जब छोटे दुकानदारों को माल बेचने का समय आया तो सरकार ने उनके भविष्य को सोचे बगैर एकतरफा फैसला लेकर उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
व्यापारी बोले, बीच का रास्ता निकालें
अभिषेक चौहान ने कहा कि त्योहार के पांच दिन पहले एकदम से इस प्रकार का कड़ा प्रतिबंध लगाने से पहले व्यापारियों की दशा और उनके परिवार की रोजी-रोटी के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए। कोई बीच का रास्ता निकाल कर उनको राहत देनी चाहिए।
सरकार को सोचना चाहिए
राजकुमार गुप्ता ने कहा कि अगर कोई फैसला लेना था, तो समय पर सरकार लेती। जब दुकानदारों ने अपने हिस्से की खरीद फरोख्त कर ली तब एकदम से इस प्रकार का कड़ा निर्णय कतई उचित नहीं है।