नई दिल्ली. सनातन धर्म में घर की सुख शांति और संपन्नता के लिए दीपक जलाने का विशेष महत्व है. किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या पूजा पाठ के समय अग्नि देव की आराधना की जाती है और भगवान के समक्ष दीपक जला कर रखा जाता है. यह हिन्दू धर्म की आस्था और विश्वास का प्रतीक है.
दीपक जलाने से अंधेरा दूर होता है. साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है विभिन्न समय पर विभिन्न प्रकार के दीपक जलाए जाते हैं जो वातावरण को शुद्ध करते हैं और हमारे अंतः करण को भी प्रफुल्लित करते हैं. सुबह शाम दीपक जलाने का विधान है.
अगर आप मिट्टी के दीपक जला रहे हैं तो वह दीपक खंडित नहीं होना चाहिए. खंडित दीपक जलाने से मन का आत्मविश्वास कमजोर होता है
अगर आप भगवान के समक्ष दीपक जलाकर रख रहे हैं. तो इस बात का ध्यान रखें कि अगर घी का दीपक जलाएं हैं तो उसे बाएं हाथ की तरफ रखना चाहिए. तेल का दीपक जलाएं हैं तो उसे दाहिने हाथ की तरफ रखना चाहिए. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है
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अगर आपने किसी साधना यह सिद्धि का संकल्प लिया है. तो आपको आटे का दीपक जलाना चाहिए.
न्याय के देवता भगवान शनि देव महाराज को प्रसन्न करने के लिए, उनके साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रकोप से बचने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
दीपक जलाने का सही समय प्रातः काल 5:00 से 10:00 बजे तक होता है. सायंकाल 5:00 से 7:00 बजे तक दीपक जलाना शुभ होता है.