नई दिल्ली। भारत के कई गांव अलग-अलग खासियतों की वजह से मशहूर हैं लेकिन भारत का एक गांव ऐसा हैं जहां यूरोपियन महिलाएं खास वजह से प्रेगनेंट होने आती हैं। आपको सुनकर हैरानी होगी लेकिन यह सच है।
अब आपके मन में यह सवाल तो जरूर आएगा कि इस गांव में ऐसा क्या है जो यूरोप की महिलाएं सात समंदर पार कर यहां के मर्दों से प्रेगनेंट होने आती है।
आर्यन नस्ल के लोग रहते हैं यहां?
अल जजीरा और ब्राउन हिस्ट्री के अनुसार लद्दाख की राजधानी लेह से करीब 160 किलोमीटर दूर बियामा, डाह, हानू, गारकोन, दारचिक नाम के कुछ गांव हैं। जिन्हें रेड आर्यन विलेज भी कहा जाता है। लद्दाख के इन इलाकों में ब्रोकपा नाम की खास समुदाय के करीब 5,000 लोगों की आबादी रहती हैं। ब्रोकपा लोगों का दावा है कि वो दुनिया में आखिरी बचे हुए सबसे शुद्ध आर्यन हैं। यानी आर्यन नस्ल के वंशज हैं। पहले इंडो-ईरानी के लोगों को आर्यन कहा जाता था।
अलेक्जेंडर द ग्रेट के हैं वंशज
कहा जाता है कि अलेक्जेंडर द ग्रेट जब हारने के बाद भारत से लौट रहा था तो उसकी सेना के कुछ सैनिक भारत के इस हिस्से में बस गए। जिसके बाद से लेकर अब तक उनके वंशज ही इस गांव में रह रहे हैं। अब यूरोप की महिलाएं अलेक्जेंडर द ग्रेट के सैनिकों के जैसे ही बच्चे की चाह लिए इस गांव में प्रेगनेंट होने के लिए आती हैं।
यहां आने के बाद वो ब्रोकपा समुदाय के पुरुषों के साथ से संबंध बनाती है ताकि उनके बच्चे भी अलेक्जेंडर की सैनिकों की तरह ही लंबी कदकाठी, नीली आंखें और सुडौल शरीर वाले बनें।
बिजनस बन गया प्रेगनेंसी टूरिज्म
प्रेगनेंट होने के बदले में विदेशी महिलाएं यहां के मर्दों को पैसे देती है और काम पूरा हो जाने के बाद वो यहां से वापस अपने देश चली जाती है। ये ट्रेंड काफी लंबे समय से इन गांवों में चल रहा है। जिसकी वजह से यह ट्रेंड न रहकर बिजनस के रुप में फल फूल रहा है। इसे लद्दाख प्रेगनेंसी टूरिज्म भी कहा जाता है।
2007 में आई डॉक्यूमेंट्री से हुआ खुलासा
दरअसल 2007 में आई संजीव सिवन की 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में पहली बार इस बात का खुलासा हुआ कि ‘शुद्ध आर्य बीज’ की तलाश में जर्मन महिलाएं इस गांव की तरफ रुख करती हैं। ताकि वो एक शुद्ध आर्यन नस्ल के बच्चें को जन्म दे सकें। इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए यह बात भी पता चली कि इस प्रेगनेंसी टूरिज्म को डवलप करने के पीछे पूरा ऑगनाइज सिस्टम हैं जो महिलाओं को इस गांव तक लाने और पुरुषों से मिलवाने का काम करती हैं। इसकी एवज में बस महिलाओं को पैसे देने होते हैं।
ब्रोकपा समुदाय के पुरुषों की क्या हैं खासियत?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस समुदाय के पुरुष कुदरती रुप से काफी खूबसूरत हैं। इस समुदाय के दो हजार से अधिक शुद्ध आर्यन पुरुष जीवित हैं। इस समुदाय की संस्कृति भारतीय की तुलना में काफी अलग हैं। ये लोग बहुत ही रंग-बिरंगे ब्राइवेंट परिधान पहनना पसंद करते हैं। इस जनजाति के लोग ब्रेक्सकाड भाषा बोलते हैं। इसके अलावा ये हिंदी के भी जानकार होते हैं।