नई दिल्ली। भारत में इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों के पास खुश होने का एक और कारण है क्योंकि सरकार ने उन लोगों को एक और छूट की पेशकश की है जो इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की योजना बना रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि ईवी-मालिकों को अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट फीस (पंजीकरण प्रमाणपत्र शुल्क) का भुगतान करने की जरूरत नहीं है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की। यह सभी बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने या रिन्यूअल (नवीनीकरण) के लिए शुल्क के भुगतान से छूट देता है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि बैटरी से चलने वाले वाहनों को नए पंजीकरण चिह्नों के असाइनमेंट के लिए शुल्क के भुगतान से छूट दी गई है।
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। बता दें कि अक्तूबर 2020 में, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि दिल्ली सरकार ने अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत सभी बीओवी को पंजीकरण शुल्क से छूट दी है।
इस समय, भारत में कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी सिर्फ 1.3 फीसदी है। हालांकि, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे कई अन्य राज्यों ने अपनी ईवी नीतियों को अधिसूचित किया है और इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए कई इंसेंटिव की पेशकश की है। बता दें कि अक्तूबर 2020 में, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि दिल्ली सरकार ने अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत सभी बीओवी को पंजीकरण शुल्क से छूट दी है।
इस समय, भारत में कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी सिर्फ 1.3 फीसदी है। हालांकि, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना जैसे कई अन्य राज्यों ने अपनी ईवी नीतियों को अधिसूचित किया है और इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को बढ़ावा देने के लिए कई इंसेंटिव की पेशकश की है। केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की पहल की है। जैसे कि सरकार ने घरेलू करों को कम रखकर, थ्।डम् प्प् योजना के जरिए इंसेंटिव की पेशकश, और देश में ईवी इकोसिस्टम को विकसित करने के लिए ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने में मदद करने के बावजूद, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की रफ्तार काफी धीमी है, यानी उतनी नहीं जितना सरकार चाहती थी। उचित बुनियादी ढांचे जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं, जबकि इलेक्ट्रिक कारों की लागत इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की तुलना में ज्यादा है।