नई दिल्ली. गर्मी हो या सर्दी. दिल्ली वालों को नॉनवेज से कोई परहेज नहीं है. दिन में या शाम ढले आप किसी भी नॉनवेज के आउटलेट पर चले जाएंगे, वहां पर नॉनवेज खाने के शौकीन मिलेंगे. शायद उनका मानना है कि गर्मी का खात्मा गर्मी से ही हो सकता है. इसी का कारण यह है कि राजधानी के कई इलाकों में आपको इस गर्मी के मौसम में फिश फ्राई की दुकानों पर भी भीड़ दिखेगी. अब नॉनवेज की बात चल ही रही है तो हम आपको आज ऐसी पुरानी दुकान पर लेकर चल रहे हैं, जहां देसी घी में तैयार मटन और चिकन करी मिलती है. गाढ़ी और ब्राउन कलर की यह डिश लोगों को खूब भाती है. ज्यादा तामझाम नहीं है इस दुकान पर. उसका कारण यह है कि दुकान में मिलने वाले नॉनवेज का स्वाद ही उसकी पहचान है.
नॉनवेज का स्वाद बना देगा दीवाना
सेंट्रल दिल्ली का करोल बाग का अधिकतर इलाका अब पूरी तरह कमर्शियल हो चुका है. इस पूरे क्षेत्र में अनेकों छोटे मार्केट और बाजार हैं. उन बाजारों की अलग-अलग विशेषता भी है. जैसे कहीं पर साड़ियां ही मिलेंगी, तो कहीं पर जूलरी, कहीं पर जींस के रेडिमेड कपड़े तो कहीं पर जूते ही जूते. यहां पर एक इलाका नाईवाला भी है. इसकी पहचान यह है कि यहां पर दोपहिया व तिपहिया के स्पेयर पार्ट्स व एसेसरीज़ मिलती है. यह देश में इस तरह के सामान का थोक बाजार है. यहां दूसरे राज्यों से भी लोग खरीदारी के लिए आते हैं. यहां के खरीदारों का मिजाज तो आप समझ ही गए होंगे.
अगर उन्हें देसी घी में बना मटन या चिकन मिल जाए तो खरीदारी के साथ मन-शरीर भी प्रसन्न हो जाए. इन्हीं के लिए यहां के इलाही बख्श रोड पर ‘सरदार जी मीट वाले’ की दुकान है. कोई तामझाम नहीं है. लेकिन जो लोग इस दुकान को जानते है, उनके लिए यहां का नॉनवेज उन्हें दीवाना बनाता है.
देसी घी में बनती है मटन-चिकन करी
आप इस सड़क पर चलेंगे और आपको देसी घी में लिपटी नॉनवेज की गंध आने लगे तो समझ जाइए आप ‘सरदार जी’ के पास पहुंच गए हैं. इस आउटलेट पर देसी घी में बनी एकाध शाकाहारी डिश भी मिलती है, लेकिन असली जलवा तो मटन और चिकन करी का है. देसी घी में बनी गाढ़ी और ब्राउन कलर की ग्रेवी और उसके साथ मटन, चिकन आपको ललचाने लगेंगे. आपको बता दें कि यहां मटन करी बनाई जाती है. यह तो सीधे आपको मिलेगी. लेकिन चिकन की करी भी यही होगी. चिकन अलग से फ्राई किया जाता है, उसके साथ यह ग्रेवी परोसी जाती है.
लोगों को इसमें ही मजा आता है. इन दोनों की हाफ प्लेट में दो-दो मटन-चिकन के पीस होते है. इसकी कीमत 200 रुपये है. कड़क तंदूर की रोटी छह रुपये की. लच्छा पराठा या नान चाहिए, वह 20 रुपये की है. यह डिश खाने के बाद आप जो तृप्ति होती है, वह ‘गूंगे के गुड़’ के समान है. यानी उसका वर्णन नहीं किया जा सकता, महसूस किया जा सकता है.