बिजनौर. वन विभाग जंगलों में खोयी जमीन को तलाशने के लिए जियो सर्वे कराने की तैयारी कर रहा है। केवल वन विभाग के रिकॉर्ड में ही 754 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जे या अतिक्रमण की बात कही जा रही है। ऐसे में मौके पर हालात क्या हैं, इसका खुद वन विभाग को भी नहीं पता है। कई जगहों जमीन पर कब्जा करने वाले अपने कागज दिखाकर उस पर दावा तक कर देते हैं। ऐसे में जियो सर्वे में सामने आ जाएगा कि कहां कितनी वन विभाग की जमीन है।
बिजनौर वन डिवजिन में बिजनौर, चांदपुर और अमानगढ़ वन रेंज के पास करीब 14 हजार वन भूमि हैं। इसमें से 754 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण है। वन विभाग अतिक्रमण हटवाने के लिए कई लोगों से कोर्ट में केस भी लड़ रहा है। इनमें से अधिकांश इस जमीन को अपना बता रहे हैं। वहीं कुछ जमीन तो कई-कई बार बिक भी चुकी है।
ऐसे में वन विभाग अपनी जमीन की सही स्थिति जानने के लिए जियो सर्वे का सहारा लेने की तैयारी कर रहा है। तहसीलों से मिले वन विभाग की जमीन के रिकॉर्ड से मिलान कर यह जियो सर्वे कराया जाएगा। जियो सर्वे में जहां वन विभाग की जमीन होगी, उसे ऑनलाइन चढ़ा दिया जाएगा। इससे जहां भविष्य में वन भूमि पर होने वाले कब्जे रोके जा सकेंगे, वहीं कब्जा की गई जमीन को आसानी से खाली कराया जा सकेगा।
क्या है जियो टैगिंग या जियो सर्वे
जियो टैगिंग का मतलब जमीन की भौगोलिक स्थिति, फोटो, मैप और वीडियो के जरिए सटीक जानकारी देना है। इससे अक्षांश व देशांतर से उस जगह की लोकेशन जानी जाती है। इससे गूगल मैप देखकर जगह का आसानी से पता किया जाता है। कई सरकारी विभाग अपनी योजनाओं की निगरानी के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सर्वे में स्पष्ट हो जाता है कि जमीन की स्थिति क्या है।
वन विभाग पहली बार कराएगा ऐसा सर्वे
वन विभाग में अभी तक इस तरह का सर्वे नहीं हुआ है। ऐसे में खादर क्षेत्रों में नदी की धारा परिवर्तित होते रहने से अपनी जमीन को चिन्हित करना वन विभाग के लिए मुश्किल रहता है। इस सर्वे के बाद वन विभाग को पता रहेगा कि वनभूमि पर पानी बह रहा है या उसमें किसी ने फसल उगा ली। वन विभाग बिजनौर में पहली बार ऐसे सर्वे की तैयारी कर रहा है।
हम जियो सर्वे की योजना तैयार कर रहे हैं। इस सर्वे का मकसद वन भूमि की सही स्थिति जानना है। इससे यह पता चल सकेगा कि जो रिकॉर्ड में वन भूमि है, उस पर वर्तमान में क्या स्थिति है।