लखनऊ। बसपा की ओर से लखनऊ सीट पर अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं किए जाने से भाजपा और सपा जातीय समीकरण का गणित सुलझा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने दो सीटों पर कब्जा किया था। इसमें लखनऊ मध्य सीट से विजेता रहे रविदास मेहरोत्रा खुद इस बार मैदान में हैं। वहीं, लखनऊ पश्चिम से सपा के अरमान खान ने बाजी मारी थी। यही वजह है कि दोनों पार्टियां इस बार के चुनाव में जातीय समीकरण को अहम मान रही हैं।
लखनऊ लोकसभा में करीब 18 प्रतिशत मतदाता राजपूत और ब्राह्मण हैं। वहीं, तकरीबन 18 फीसदी मुस्लिम वोटरों की भागीदारी है। यही नहीं, 28 फीसदी ओबीसी, 0.2 फीसदी अनुसूचित जनजाति और करीब 18 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर लखनऊ लोकसभा में 26.36 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। सभी जातियों की आबादी को देख राजनीतिक दल मतदाताओं को साधने के लिए हर जुगत लगा रहे हैं।