रायबरेली। यह सब चुनावी चक्र है। जनता जनार्दन के मूड का पहिया बड़ी तेजी से घूमता है। इनका मत ही सत्ता के शिखर पर पहुंचाता है तो कुर्सी से बेदखल भी करता है। गांधी परिवार की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। चुनाव-दर-चुनाव रायबरेली व अमेठी जैसे मजबूत गढ़ में ही कांग्रेस का वोटबैंक खिसकता गया। रायबरेली से सांसद बन इंदिरा गांधी तो अमेठी जीतकर दिल्ली पहुंचे राजीव गांधी ने देश की सरकार चलाई। समय का तकाजा है कि आज गांधी परिवार संघर्ष के दौर से गुजर रहा है। मात्र 20 वर्ष में ही 40 से 45 प्रतिशत वोटर कांग्रेस से विदा ले चुके हैं।
रायबरेली संसदीय सीट पर वर्ष 2006 में हुए उप चुनाव में सोनिया गांधी को रिकॉर्ड जनादेश मिला। उन्हें 80.49 प्रतिशत मत मिले, लेकिन 2019 में यह घटकर 55.80 प्रतिशत पर आ गया। अगर बात 2022 के विधानसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस का वोटों का प्रतिशत गढ़ में ही सिमटकर 12.88 फीसदी रह गया। प्रदेश में इकलौती बची रायबरेली संसदीय सीट इस बार डगमगाई नजर आ रही है। गांधी परिवार के लिए प्रदेश में सुरक्षित मानी जाने वाली अमेठी सीट के भाजपा के पाले में जाने के बाद रायबरेली लोकसभा सीट के सियासी समीकरण बदले नजर आ रहे हैं।