नई दिल्ली। ब्रोंकाइटिस आपके फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग में होने वाली सूजन है। जब आपका वायुमार्ग (ट्रेकिया और ब्रॉन्काई) में जलन होती है, तो वे सूज जाते हैं और बलगम से भर जाते हैं, जिससे आपको खांसी होती है। यह खांसी कुछ दिनों से लेकर दो हफ्तों तक रह सकती है। यह ब्रोंकाइटिस का प्रमुख लक्षण है। वायरस एक्यूट ब्रोंकाइटिस का सबसे आम कारण होते हैं। धुंआ और वायुमार्ग में जलन की वजह बनने वाले कारक एक्यूट और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस की वजह बनते हैं।
जब लोग ब्रोंकाइटिस की बात करते हैं, तो उनका मतलब आमतौर पर एक्यूट ब्रोंकाइटिस होता है, जो एक अस्थायी स्थिति होती है, जिससे आपको खांसी होती है। कई लोगों को ब्रोंकाइटिस की समस्या बार-बार और कई बार होती है, कि इसे क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस मान लिया जाता है।
इस तरह का ब्रोंकाइटिस आमतौर पर इंफेक्शन की वजह से होता है और कुछ ही हफ्तों में अपने आम ठीक भी हो जाता है। ज़्यादातर लोगों को एक्यूट ब्रोंकाइटिस के लिए इलाज की ज़रूरत नहीं होती।
अगर साल में तीन महीनों तक ज़्यादातर दिन आप खांसी के साथ बलग़म से जूझते हैं, तो आपको क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस है। ऐसा कम से कम दो सालों तक चलता है। गले में लगातार खराश, सूजन और बलगम बनने पर आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
किन लोगों में बढ़ जाता है ब्रोंकाइटिस का ख़तरा?
ब्रोंकाइटिस किसी को भी हो सकता है। हालांकि, इन लोगों में सम्भावना बढ़ जाती है:
– जो लोग स्मोक करते हैं, या उन लोगों के साथ रहते हैं, जो स्मोक करते हैं।
– जिन्हें अस्थमा, COPD या दूसरी सांस से जुड़ी दिक्कतें हैं।
– जो GERD यानी क्रॉनिक एसिड रीफ्लक्स से जूझ रहे हैं।
– जो लोग ऑटोइम्यून डिसॉर्डर या इंफ्लामेशन की दिक्कतों से जूझ रहे हैं।
– जो लोग धुएं या कैमिकल्स के संपर्क में रोज़ आते हैं।
ब्रोंकाइटिस के क्या लक्षण होते हैं
लगातार खांसी जो एक से तीन हफ्तों तक रहती है, ब्रोंकाइटिस का अहम लक्षण होती है। अक्सर ब्रोंकाइटिस वाली खांसी में बलगम भी आता है, लेकिन कई बार सूखी खांसी भी होती है। आप को सांस लेते वक्त एक सीटी जैसी आवाज़ भी सुनाई दे सकती है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
– सांस फूलना
– बुखार
– नाक बहना
– कमज़ोरी/थकावट
ब्रोंकाइटिस हमेशा वायरस के कारण ही होता है। हालांकि, जो भी चीज़ आपके वायुमार्ग को परेशान करेगी, उससे यह बीमारी हो सकती है।
वायरस: ब्रोंकाइटिस की वजह बनने वाले वायरस में इंफ्लूएंज़ा, श्वसनतंत्र सिंसिशयल वायरस (RSV), एंडोवायरस, रहीनोवायरस ( आम सर्दी-ज़ुकाम) और कोरोना वायरस।