मुजफ्फरनगर ।रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी ने बड़ा दिल रखते हुए अपनों को नजर अंदाज कर कुनबे में शामिल हुए सपा कैडर के नेताओं को अधिक तव्वजो दी है। बिजनौर लोकसभा सीट से मीरापुर विधायक चंदन सिंह चौहान को प्रत्याशी एवं पुरकाजी विधायक अनिल कुमार को मंत्री पद तोहफे में देना इसकी एक बानगी है। जयंत ने गुर्जर एवं जाट के साथ ही दलितों समीकरण को भी साधने की कोशिश की है।भाजपा एवं रालोद के गठबंधन फाइनल होने के साथ ही रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के कई निर्णय अप्रत्याशित रहे। बागपत से वह न खुद लड़े और न ही अपनी पत्नी चारु का नाम प्रस्तावित किया, बल्कि यहां से अपनी तीन पीढ़ियों के साथी डा. राजकुमार सांगवान को उतारा। बिजनौर लोकसभा सीट पर मीरापुर से विधायक चंदन सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाना और इसके बाद पुरकाजी विधायक अनिल कुमार को मंत्री पद तोहफे दिए जाने के पीछे जयंत चौधरी की कुटनीतिक सोच रही।
मीरापुर से विधायक चंदन सिंह चौहान जहां गुर्जर चेहरा हैं, वहीं अनिल कुमार दलित चेहरा हैं। दोनों भले ही रालोद से विधायक निर्वाचित हुए हों, लेकिन वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व दोनों ही सपा में थे और अखिलेश यादव के करीबी। लेकिन ये दोनों ही रालोद में शामिल हो गए थे। वर्ष 2022 में रालोद के सिंबल पर दोनों चुनाव लड़े थे। तब सपा और रालोद का विधानसभा चुनाव में गठबंधन था। चंदन सिंह चौहान को रालोद की युवा इकाई का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया था। सपा से दोस्ती टूटने के बाद राज्यसभा चुनाव में भी रालोद ने अपने सभी विधायकों को एकजुट रखा।
रालोद ने बिजनौर लोकसभा सीट पर अपनी राह आसान करने के लिए गुर्जर कार्ड खेला, जबकि अनिल कुमार के जरिए दलित कार्ड। अनिल कुमार जिस पुरकाजी विधानसभा सीट से विधायक हैं, वह बिजनौर लोकसभा सीट का ही हिस्सा है। बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में करीब 18 लाख मतदाता है। इनमें करीब 22 फीसदी दलित मतदाता हैं। इसके अलावा, सवा लाख के करीब गुर्जर एवं सवा दो लाख के करीब जाट मतदाता बताए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार की कैबिनेट में अनिल कुमार ( पुरकाजी) और पं.सुनील शर्मा ( गाजियाबाद) के शामिल होने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश से नौ मंत्री हो गए हैं। सबसे अधिक तरजीह मुजफ्फरनगर को मिली है। यहां से डा. संजीव बालियान केंद्रीय मंत्री हैं, जबकि कपिल देव अग्रवाल प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। अब अनिल कुमार भी इस कड़ी में शामिल हो गए हैं। गाजियाबाद से जिले से विधायक सुनील शर्मा को भी मंत्री पद दिये जाने से गाजियाबाद का भी कोटा हो गया।