करनाल. पलवल के खपुरवा गांव के किसान परिवार में जन्मी इंटरनेशनल व्हील चेयर फेंसिंग खिलाड़ी रेखा तंवर आठवीं में पढ़ाई के दौरान पोलियो होने के कारण मुश्किल दौर से गुजर रही थीं। उन्होंने बताया कि समझ में नहीं आ रहा था आगे क्या करूं। तभी फेंसिंग खेल प्रशिक्षक मेरी ममेरी बहन सुमन सिंह ने पैरा खेलों में जाने के लिए प्रेरित किया। 2016 में पहली बार कर्ण स्टेडियम में यूपी की टीम की ओर से खेलने आई थी लेकिन मुझे प्रतियोगिता में खेलने से रोक दिया गया था, क्योंकि उसका प्रमाणपत्र हरियाणा का था। इस कारण वह मैदान पर ही रोने लगी। मुझे रोता देख कर्ण स्टेडियम के फेंसिंग खेल प्रशिक्षक सतबीर सिंह ने मौके पर मौजूद वरिष्ठ व्हील चेयर फेंसिंग खिलाड़ी राजीव से मदद करने को कहा। इसके बाद इंटरनेशनल स्तर पर पदक जीतकर खुद को साबित कर दिखाया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
करनाल की ओर से खेलने वाली रेखा तंवर अपने छह भाई-बहनों में चौथे नंबर की है। उन्होंने बताया कि खेल दिव्यांगता के दंश से उभरने का बहुत अच्छा माध्यम बना। ऐसी महिलाएं जो अपनी दिव्यांगता से निराश हो चुकी हैं, उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल स्तर की प्रतियोगिता नीदरलैंड, इटली में पदक जीतकर उन्होंने खुद को साबित किया। भविष्य में होने वाले कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स की पूरी तैयारी चल रही है। वहां भी पदक जीत कर देश और प्रदेश का नाम रोशन करना चाहती हूं। उन्हाेंने अपनी अब तक की कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता, खेल प्रशिक्षक सतबीर सिंह और फे ंसिंग खिलाड़ी राजीव को दिया।