नई दिल्ली। देश में कोरोना के लगातार बढ़ते मरीजों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों की आज अहम बैठक बुलाई है। कई राज्यों में कोरोना महामारी के फिर से तेजी से पैर पसारने से चिंतित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ मंगलवार को बैठक करेंगे। मुख्यमंत्रियों के साथ राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल होंगे। वह कोरोना वैक्सीन के वितरण के लिए अपनाई जाने वाली योजना को लेकर भी विचार विमर्श करेंगे। यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी।
सूत्रों के अनुसार, इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होंगी। इससे पहले भी पीएम इस मुद्दे को लेकर बैठक कर चुके हैं।इस बैठक में कोरोना महामारी रोकने की आगे की रणनीति के साथ ही वैक्सीन आने की स्थिति में बनने वाली व्यवस्था पर मंथन होगा। यह खबर सामने आने के बाद अटकलें जोर पकड़ने लगी हैं कि क्या देश में एक बार फिर लॉकडाउन या Curfew लगने जा रहा है। हाल के दिनों में कोरोना प्रभावित राज्यों, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान में नाइट Curfew लगाया गया है।
भारत में अभी कोरोना का सबसे ज्यादा कहर दिल्ली में देखने को मिल रहा है। यहां रविवार को लगातार तीसरे दिन 100 से ज्यादा मरीजों ने दम तोड़ा। सरकार ने मास्क लगाने और शारीरिक दूरी बनाए रखने को लेकर सख्त नियम बनाए हैं, लेकिन जनता इनका पालन करती नजर नहीं आ रही है। यही कारण है कि प्रशासन ने दो बाजारों को बंद कर दिया है। वहीं देश में बीते चौबीस घंटों में करीब 45 हजार नए मामले आए सामने। इसके साथ ही महामारी को मात देने वालों का आंकड़ा 85.53 लाख पहुंच गया, लेकिन एक लाख 33 हजार से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है। कुछ राज्यों को छोड़कर देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थमी जरूर है लेकिन कुल संक्रमितों की संख्या 91 लाख को पार कर गई है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कोरोना महामारी पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई बहुत ही लचर रही है, जिसके चलते लाखों लोग गरीबी के गर्त में चले गए हैं। साथ ही छात्रों का भविष्य भी खराब हो रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, “मोदी सरकार के अनियोजित लॉकडाउन ने लाखों लोगों को गरीबी में धकेल दिया। नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया गया और छात्रों के भविष्य से समझौता किया गया।” एक दूसरे ट्वीट में उप्र सरकार को घेरते हुए कहा कि हाथरस का पीड़ित परिवार राज्य में सुरक्षित नहीं है।