कानपुर| कानपुर में बिठूर स्थित रामा मेडिकल कॉलेज की पहली मंजिल पर बने उपकरण कक्ष में बुधवार सुबह शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। चारों तरफ धुआं भरने से अफरातफरी मच गई। मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। आनन फानन आईसीयू में भर्ती आठ मरीजों को एंबुलेंस से दूसरे अस्पताल भेजा गया है। वहीं वार्डों में भर्ती करीब 500 मरीजों को बाहर निकाला गया। आईसीयू से दूसरे अस्पताल भेजी गई एक महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई।
उसका रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन हुआ था। हालांकि अस्पताल प्रबंधन और कर्मचारियों ने सक्रियता दिखाते हुए बड़ा हादसा होने से बचा लिया। वहीं, मौके पर पहुंची फायरबिग्रेड की पांच गाड़ियों ने धुएं पर काबू पाया। रामा मेडिकल कॉलेज की तीन मंजिला इमारत के पहले तल पर ईएनटी विभाग की ओपीडी और उपकरण कक्ष है। दूसरे तल पर नेत्र रोग विभाग की ओपीडी, आईसीयू व एनआईसीयू है। तीसरे तल पर आर्थो विभाग की ओपीडी है।
ओपीडी के अलावा वार्ड भी मरीजों से भरे थे। सुबह करीब 11:25 बजे प्रथम तल के उपकरण कक्ष में शॉर्ट सर्किट से फाइबर शीट में आग लग गई। अस्पताल कर्मचारियों ने अग्निशमन यंत्र से आधा घंटे में आग पर काबू पा लिया, लेकिन धुआं पूरे परिसर में फैल गया। यह देख ओपीडी में आए मरीज और तीमारदार बाहर की ओर भागे। अफरातफरी में सीढ़ियों से गिरकर कुछ लोग चोटिल भी हुए। इस बीच धुआं आईसीयू और जनरल वार्ड में भी पहुंच गया।
आईसीयू में आठ मरीज और वार्ड में करीब 500 मरीज थे। सांस लेने में दिक्कत होने पर डॉक्टरों, तीमारदारों और कर्मचारियों ने बाहर निकाला। गंभीर रोगियों को एंबुलेंस की मदद से करीब 11 किलोमीटर दूर लखनपुर स्थित रामा डेंटल कॉलेज भेजा गया। यहां उपचार के दौरान उन्नाव के सफीपुर सकलन निवासी लक्ष्मीदेवी विश्वकर्मा (68) की मौत हो गई। इस बीच मौके पर पहुंचीं फजलगंज, पनकी की पांच गाड़ियों ने धुएं पर काबू पाया।
कुछ तीमारदार तो अपने मरीजों को गोद में उठाकर भागे, जिन तीमारदारों के मरीज चलफिर नहीं सकते थेञ उन्हें बेड समेत ही उठाकर अस्पताल के मैदान में पहुंचे। हादसे के बाद मैदान में चारों तरफ बेड ही बेड नजर आ रहे थे। कुछ तीमारदार अपने मरीजों को व्हीलचेयर, तो कई कंधों पर उठाकर भागे। दहशत और खौफ का ऐसा मंजर देखकर कुछ मरीज तो इलाज कराए बिना ही भाग निकले।
प्रथम तल पर जिस समय आग लगी उस समय वहां ईएनटी, नेत्र, त्वचा, टीबी, चेस्ट और बाल रोग की ओपीडी चल रही थी। अस्पताल प्रबंधन की माने तो ओपीडी के समय 505 से अधिक मरीज और तीमारदार परिसर में मौजूद थे। नेत्र विभाग के पास उपकरण कक्ष में लगी आग पास के तीन कक्षों में फैल गई थी। इससे वहां रखे लाखों रुपये कीमत के उपकरण, मशीने, एसी, लैपटॉप और फर्नीचर जलकर खाक हो गए।
आग लगने से पूरे प्रथम तल पर धुंआ भर गया और परिसर में करीब 100 मीटर भी विजिबिलिटी नहीं रही। इसलिए मोबाइल की रोशनी की सहायता से फायरकर्मी आग पर काबू करने का प्रयास कर रहे थे। धुएं को बाहर निकालने के लिए दमकल कर्मियों और अस्पताल के कर्मचारियों ने सारी खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए। तब करीब ढाई घंटे बाद धुंआ कम हुआ।
मंधना स्थित रामा मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी विंग के प्रथम तल पर ईएनटी की ओपीडी है। इसके अलावा प्रथम, द्वितीय और तृतीय तल पर वार्ड आईसीयू और एनआईसीयू भी है। सभी में मरीज भर्ती थे। उपकरण कक्ष में शॉर्ट सर्किट से लगी आग अंडरग्राउंड वायर से बाकी जगहों पर फैली। उसी में लगभग 25 जगह शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे धुंआ फैल गया। दम घोंटू धुंआ भरने से मरीजों में अफरातफरी मच गई। घटना के वक्त उस दौरान अस्पताल में 400 मरीज, उनके तीमारदार, अस्पताल कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी, डाॅक्टर और मेडिकल स्टूडेंट्स को मिलाकर 1800 से 2000 लोग थे।
तीमारदारों के अनुसार अस्पताल परिसर में चारों ओर धुआं भरने के बाद भी न तो कोई सायरन बजा न ही पानी का फव्वारा चला। वार्ड में मौजूद डॉक्टर और स्टाफ भी बाहर की ओर भागने लगे। यह देख तीमारदारों में भी चीखपुकार मच गई। कुछ ने खुद ही मरीजों को सहारा देकर अस्पताल परिसर से बाहर निकाला।
अस्पताल में भर्ती शिवबहादुर निवासी हमीरपुर, राजकुमार सिंह निवासी जाजमऊ, रामकेश हमीरपुर, यूनुस खान इटावा, रेखा चौबेपुर, पिंकी फर्रुखाबाद ने बताया जब अचानक उन्हें बाहर किया जाने लगा तो उनकी हालत और बिगड़ गई। किसी तरह उनके परिजनों ने अस्पताल कर्मियों की सहायता से उन्हें बाहर निकाला। इसके बाद उन्हें अस्पताल के सामने खुले मैदान में बेड में लिटा दिया गया।
प्राथमिक जांच में अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं पाई गई। इस प्रकरण की जांच कराई जाएगी। अगर अनियमितताएं मिलती हैं तो सीएमओ को रिपोर्ट सौंपकर अस्पताल के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की जाएगी। पांच दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची थी, जिन्होंने समय रहते आग पर काबू पा लिया। किसी तरह की जनहानि की सूचना नहीं है।
औरैया के खलीलपुर निवासी राजू ने बताया कि उनका प्रोस्टेज बढ़ा हुआ था। इसका इलाज चल रहा था। आग लगने से धुंआ भर गया, सांस फूलने लगी। ऐसा लगा जान ही निकल जाएगी। किसी तरह बाहर निकाला गया, लेकिन यह खौफनाक मंजर कभी भूल नहीं सकता।
फर्रुखाबाद के बीबीगंज निवासी नंदकिशोर शुक्ला को अस्थमा की समस्या थी। उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने बताया कि जहरीले धुएं से दम घुटा जा रहा था। अगर जल्दी बाहर न निकाला जाता तो जान ही निकल जाती।
चौबेपुर के महेन्द्र ने बताया कि तीसरी मंजिल पर हड्डी रोग विभाग के वार्ड में भर्ती थे। पैर का ऑपरेशन होना था। इससे पहले ही आग लग गई परिजनों ने बेड के साथ ही किसी तरह निकाला।