मुजफ्फरनगर। राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल और पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक ने मंगलवार को कोर्ट में सरेंडर किया। इस दौरान 4 अन्य लोग भी शामिल रहे। बता दें कि 2013 में दंगे के दौरान दर्ज निषेधाज्ञा उल्लंघन के एक मुकदमे में सभी कोर्ट पहुंचे। सभी को कोर्ट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में लिया गया। 2 घंटे तक हिरासत में रहने के बाद कोर्ट ने सभी को जमानत प्रदान कर दी।
27 अगस्त 2013 को जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में शाहनवाज तथा सचिन व गौरव की हत्याओं के बाद तनाव पैदा हो गया था। 28 अगस्त को मलिकपुरा निवासी ममेरे भाईयों की अंत्येष्टि से लौटते लोगों ने गांव कवाल में हंगामा और तोड़फोड़ की थी। जिसके बाद 31 अगस्त को डीएम ने आदेश जारी कर जिले में धारा-144 लागू कर दी गई थी।
कवाल में सचिन और गौरव की हत्या के बाद 31 अगस्त को थाना सिखेड़ा क्षेत्र के नंगला मंदौड़ इंटर कालेज में शोक सभा का आयोजन किया गया था। शोक सभा के बाद तत्कालीन एडीएम इन्द्रमणी त्रिपाठी ने निषेधाज्ञा उल्लंघन के आरोप मे मौजूदा केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, मौजूदा राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, सपा नेता तथा पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक, भाजपा नेता तथा पूर्व विधायक अशोक कंसल, यशपाल पंवार तथा हिंदुवादी नेता साध्वी प्राची सहित 21 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।
इस मामले में अधिकतर आरोपियों के कोर्ट में पेश न होने के कारण वारंट जारी हुए थे। अभियोजन अधिकारी नीरज सिंह ने बताया कि राज्यमंत्री सहित कई आरोपितों के वारंट जारी हुए थे। उन्होंने बताया कि मंगलवार को राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक, पूर्व विधायक अशोक कंसल तथा भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष यशपाल पंवार सहित 6 आरोपितों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन एफटीसी-1 में सरेंडर कर दिया। कोर्ट के आदेश पर उन्हें न्यायिक हिरासत में लिया गया। जिसके बाद सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
31 अगस्त 2013 को नंगला मदौड़ पंचायत में शामिल होने पर हिंदु वादी नेता साध्वी प्राची के विरुद्ध धारा-144 के उल्लंघन में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने काफी पहले ही अपनी जमानत करा ली थी। तारीख पर न आने के कारण सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट से उनके नाम के गैर जमानती वारंट जारी हुए थे। साध्वी प्राचा ने मंगलवार को कोर्ट में पेश होकर वारंट रिकाल कराए।