इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ के थाना सदर बाजार में तैनात रहे पुलिस इंस्पेक्टर बृजेंद्र पाल राणा के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर चल रही विभागीय कार्यवाही पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याची वर्तमान में बतौर पुलिस इंस्पेक्टर मेरठ में तैनात है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने पुलिस इंस्पेक्टर बृजेंद्र पाल राणा की याचिका पर दिया है। याची इंस्पेक्टर की ओर से उपस्थित सीनियर अधिवक्ता विजय गौतम व इशिर श्रीपत का कहना था कि याची जब 2021 में थाना सदर बाजार जनपद मेरठ में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत था तो उसके विरुद्ध सदर बाजार थाना मेरठ में भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, 342 एवं 7 / 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत 31 अगस्त 2021 को मुकदमा कायम हुआ।
शिकायतकर्ता विकार अमीर ने याची के ऊपर पैसा लेने का आरोप लगाया था। इस क्रिमिनल केस के विरुद्ध याची इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की जिसमें उसे अग्रिम जमानत मिल गई। कोर्ट ने एसएसपी मेरठ को निर्देश दिया था कि वह इस क्रिमिनल केस की जांच एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी से कराएं।
घूस लेने के लिए धमकाने का मामला
भ्रष्टाचार के इस मामले में याची के खिलाफ क्रिमिनल केस के आधार पर विभागीय चार्जशीट देकर विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई। 2 सितंबर 2021 के आदेश से इंस्पेक्टर के खिलाफ उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड और अपील) नियमावली 1991 के नियम 14 (एक) के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए उसे आरोप पत्र दिया गया। आरोप लगाया गया है कि उन्होंने जमीर आमिर जनपद मुजफ्फरनगर को ट्रक चोरी के केस में पूछताछ के लिए बिना किसी अधिकार के अवैधानिक रूप से जनपद मुजफ्फरनगर से लाकर निरुद्ध किया तथा 50 हजार घूस के रूप में प्राप्त करने के पश्चात उसे धमकाया गया।
याची इंस्पेक्टर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई पूर्व में दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाकर की जा रही है। कहा गया कि क्रिमिनल केस के आरोप तथा विभागीय कार्रवाई के आरोप एक समान हैं और साक्ष्य भी एक ही है।
बहस की गई कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट कैप्टन एम पाल एंथोनी तथा पुलिस रेगुलेशन के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है। अधिवक्ताओं का कहना था कि यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जब अपराधिक व विभागीय कार्रवाई एक ही आरोपों को लेकर चल रही है तो विभागीय कार्रवाई आपराधिक कार्यवाही के निस्तारण तक स्थगित रखी जाए। कहां गया याची के खिलाफ की जा रही कार्यवाही द्वेषपूर्ण व गलत है। कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद विभागीय कार्रवाई पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है।