अमेठी : सोनिया गांधी की कार अमेठी में कच्चे रास्तों में फंस गई। साथ में राजीव गांधी भी नहीं थे। तब तरकीब लगाकर उनकी कार को निकाला गया था।
बात 1991 आम चुनाव की है। चुनाव प्रचार चरम पर था। अमेठी के लोगों की मांग पर सोनिया गांधी भी पति राजीव गांधी के लिए चुनाव प्रचार में पहुंची थीं। प्रचार के लिए वह तातारपुर से एम्बेसडर गाड़ी पर सवार होकर निकली थीं। उनके साथ कुछ स्थानीय दिग्गज नेता भी थे। यह लोग जामो-गौरीगंज मार्ग पर अकोइया के पास एक कच्ची, बदहाल सड़क पर पहुंचे। यह सड़क उस वक्त लढि़या (बैल गाड़ी) मार्ग के लिए खास थी।
इस मार्ग पर लढि़या के निकलने से उसमें लीक बन गई थी। इसी लीक पर चलकर लढि़या से ग्रामीण लोगों का आवागमन रहता था। यह मार्ग एम्बेसडर जैसी गाड़ियों के लिए बिल्कुल मुफीद नहीं था, लेकिन इस मार्ग के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। जिसके चलते सोनिया गांधी को इस मार्ग से गुजरना था। उनका वाहन जब कच्ची सड़क पर पहुंचा तो धूल के गुबार उठने लगे। तभी अचानक एंबेसडर के चालक का वाहन से नियंत्रण बिगड़ा और एम्बेसडर लढि़या गाड़ी की लीक में जाकर धंस गई। कार का चक्का जमीन से लग गया। गाड़ी बंद हो गई।
सोनिया गांधी की कार के उस वक्त के चालक का नाम जोगी बताया जा रहा है। उसने कहा मैडम…अब क्या होगा। तब उनके साथ चल रहे अन्य स्थानीय लोगों ने सहारा दिया, बोले सब बनेगा। कार फंसी देखकर आसपास खेतों में काम कर रहे किसान भी कौतूहलवश पहुंच गए। वह कार और मैडम को देखने को उत्सुक थे।
जब उनके साथ स्थानीय लोगों को देखा तब किसान खुद ही फावड़ा लाए और सड़क की मिट्टी खोद कर गाड़ी पार कराई। गाड़ी निकलने पर सोनिया बोलीं…क्षेत्र बहुत पिछड़ा है। स्थानीय लोगों ने फौरन मांग रख दी… मैडम सड़क बन जाए तो अच्छा रहेगा। उसके बाद इस सड़क को बनवाया गया था।
चुनाव को लेकर राजीव गांधी ने अमेठी के ब्लाॅक प्रमुखों को बैठक के लिए बुलाया था। बैठक में पहुंचे त्रिभुवन दत्त उपाध्याय कहते हैं। राजीव गांधी से उनके गहरे रिश्ते थे। घर का आना-जाना था। उनसे खुल कर बात करते थे। बैठक में राजीव गांधी से कहा गया कि भैया…आप देश का देखौ… हम लोग अमेठी देखब। बस भौजी का चुनाव मा दै देव! यह सुनकर राजीव गांधी भी तफरीह के मूड में आ गए। हंसते हुए बोले… भौजी का ले जाओ।