गाजियाबाद। पिछले वर्ष जनवरी से दिसंबर तक 532 बच्चों की आईक्यू जांच की गई। इनमें से 30 फीसदी बच्चों की बुद्धि सामान्य से कम पाई गई, शेष 60 फीसदी बच्चे काउंसिलिंग के बाद सामान्य पाए गए। आईक्यू टेस्ट कराने वालों की संख्या कोरोना संक्रमण के बाद 40 फीसदी अधिक बढ़ी है। आईक्यू जांच करने वाली मानसिक चिकित्सा प्रकोष्ठ विभाग की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. चंदा यादव ने बताया कि स्कूल की सलाह पर अधिकतर 12 से 18 वर्ष की उम्र के छात्रों की संख्या अधिक रहती है। बच्चों के सामने अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें और न ही उन्हें मारे-पीटे। बच्चों को प्राकृतिक चीजों और नियमों के बारे में बताएं और उन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रकृति के बीच समय बिताने दें।
बच्चे के सवाल का का सही और वैज्ञानिक जवाब दें। बच्चे को कभी भी भूत, जानवर, रहस्यमयी व्यक्ति या किसी अन्य चीज से न डराएं हमेशा बच्चों की आंखों में देखकर बात करें और जब आपसे बात करे, तो वो भी आपकी आंखों में देख रहा हो। आईक्यू स्तर बढ़ाने के लिए यह करें बच्चे के साथ जरूर खेलें खेल-खेल में टेबल, या जोड़-घटाव वाले सवाल बच्चों से करवाएं। सुबह या शाम 10 से 15 मिनट बच्चे के साथ गहरी सांस लेने का अभ्यास जरूर करें। बच्चे के दिमागी विकास के लिए वाद्य यंत्र बजाना सिखाएं। गिटार, सितार, हारमोनियम जैसे कोई भी वाद्ययंत्र बजाना सिखा सकते हैं।
मानसिक और शारीरिक विकास के लिए खेल जरूरी है। कई बार बच्चे खेल-खेल में ही कई तरह की चीज सीख लेते हैं। ऑनलाइन कक्षाएं खत्म होने के बाद बढ़ी जांच वरिष्ठ साइकोलॉजिस्ट डॉ. संजीव त्यागी का कहना है कि कोरोना के बाद से बच्चों के बुद्धि परीक्षण को लेकर जागरूकता आई है। कोरोना में बिना परीक्षा दिए ही बच्चे दो कक्षाओं में पास कर दिए गए थे। स्कूल खुलने के बाद जब दबाव बढ़ा तो लोगों में जागरूकता आने लगी है। बच्चों का स्मार्ट होना और इंटेलिजेंट कोशिएंट (आईक्यू) स्तर अच्छा होना, दोनों में अंतर है। यह एक बच्चे को दूसरे बच्चों से अलग बनाता है। अगर बचपन से कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो बच्चों का आईक्यू लेवल बढ़ाया जा सकता है।