मुजफ्फरनगर। कभी अविरल धारा से बहने वाले हिंड़न नदी आज अपने अस्तित्व से जूझ रही है। इसकी मूल वजह प्रदूषण हैं। गांवों का कचरा समेत औद्योगिक इकाइयों का दूषित पानी इसमें डाला डाला जा रहा है। नदी को फिर से पुराने स्वरूप में जीवित करने के लिए प्रशासन ने कार्ययोजना बनाई है। औद्योगिक इकाइयों पर किनारे के 55 गांवों पर फोकस किया जाएगा। गांवों में तालाबों की खुदाई होगी। इकाइयों के गंदे पानी पर रोक लगेगी।
हिंड़न नदी शिवालिक की पहाड़ियों से निकलकर सहारनपुर होते हुए जनपद में प्रवेश करती है। जिले में इस नदी की कुल लंबाई 76 किमी है। जिले की सीमा में नौ नाले हिंड़न नदी में गिरते हैं। इस नदी के दाएं ओर 31 और बाएं ओर 24 गांव हैं। इसके साथ ही हिंड़न नदी के किनारे कई औद्योगिक इकाइयां हैं। जिनका दूषित जल नदी में प्रवाहित किया जाता है। इसके साथ ही गांवों से अपशिष्ट ठोस और द्रव के रूप में हिंड़न नदी में जाने से यह दूषित हो गई है।
नदी की स्वच्छता को प्रशासन ने कार्ययोजना तैयारी की है। इसके लिए अगल-अलग टीम बनाई गई है। नदी में फैक्ट्रियों का गंदा पानी प्रवाहित न हो, इसके लिए एक निगरानी टीम गठित की गई है। वहीं गांवों के पानी को नदी में जाने से रोकने के लिए सभी 55 गांवों में तालाबों की खुदाई का कार्य होगा। बीते वर्षों में कुछ तालाबों की खुदाई हुई भी है। अमृत सरोवर भी गांव में बनाए जाएंगे।
सीडीओ संदीप भागिया ने बताया कि हिंड़न नदी के समीप के गांवों में तालाबों की खुदाई होगी। अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। नदी का पानी स्वच्छ करने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है।
हिंडन नदी का जल दूषित होने के साथ ही संकरी हो गई है। कभी बुढ़ाना में इस नदी की वजह से जलस्तर ठीक था, लेकिन नदी से जल की अविरल धारा खत्म होने से पूरे ब्लाक के जलस्तर पर असर पड़ा है। अब बुढ़ाना ब्लाक डार्क जोन में हैं। प्राकृतिक सौंदर्य खत्म होने के साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है।