देहरादून: उत्तराखंड के आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग ने योगगुरु बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं के उत्पादन पर लगी रोक हटा दी है। विभाग ने अपनी गलती स्वीकार कर नया आदेश जारी किया है।
लाइसेंसिंग अधिकारी डा. जीसीएस जंगपांगी की ओर से कहा गया है कि पूर्व आदेश में उक्त औषधियों के निर्माण में त्रुटिवश लगी रोक को संशोधित कर निर्माण यथावत रखने की अनुमति दी जाती है। दिव्य फार्मेसी को अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए भी एक सप्ताह के स्थान पर अब 15 दिन का समय दिया गया है।
दरअसल, केरल के एक चिकित्सक ने विभाग को भेजी शिकायत में दिव्य फार्मेसी पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (आब्जेक्शनेबल एडवरटाइजमेंट) एक्ट, ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट और ड्रग्स एंड कास्मेटिक रूल्स के उल्लंघन का आरोप लगाया था। जिस पर विभाग ने दिव्य मधुग्रिट टैबलेट, दिव्य आइग्रिट गोल्ड, दिव्य थायरोग्रिट टैबलेट, दिव्य बीपी ग्रिट और दिव्य लिपिडाम टैबलेट के निर्माण पर रोक लगाई थी।
साथ ही दिव्य फार्मेसी से एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण तलब किया था। कहा था कि दिव्य फार्मेसी संशोधित फार्मूलेशन शीट एवं संशोधित लेबल क्लेम के अनुमोदन के बाद ही उक्त औषधियों का निर्माण कर सकेगी। अब तीन दिन के भीतर विभाग ने अपना आदेश पलट दिया है।
इधर, पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि आयुर्वेद को बदनाम करने के अविवेकपूर्ण कार्य का संज्ञान लेकर उत्तराखंड सरकार ने जिस प्रकार भूल का सुधार किया, उसके लिए हम सरकार के प्रति कृतज्ञ हैं।
उन्होंने कहा कि जिस विभाग का काम आयुर्वेद को गौरव दिलाते हुए उसे राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति के रूप में प्रतिष्ठापित करना है, वहीं आयुर्वेद को बदनाम कर उसे मिटाने में लगा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण कृत्य स्वीकार्य नहीं है।
एक अधिकारी ने जिस तरह का कृत्य किया, उससे हम बहुत आहत हैं। आयुर्वेद व योग की स्थापना में कोई किसी भी तरह का षड्यंत्र करेगा या किसी भी मेडिकल माफिया या सनातन विरोधी षड्यंत्रकारियों में सम्मिलित होगा, उसके विरुद्ध पतंजलि कानूनी दायरे में रहकर अपनी लड़ाई जारी रखेगा।