मुजफ्फरनगर। गन्ना पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तासीर में समाया है। इसीलिए गन्ने के बिना सियासत के पन्ने अधूरे हैं। पहला चीनी मिल 121 साल पहले देवरिया के प्रतापपुर में जरूर लगा, लेकिन गन्ना किसानों के लिए बड़े आंदोलन भाकियू ने 37 साल पहले पश्चिम से ही शुरू किए थे। असर यह हुआ कि गन्ना किसान राजनीतिक दलों के एजेंडे में शामिल हो गए, लेकिन भाव और भुगतान की लड़ाई अभी जारी है। गन्ना किसान लाभकारी मूल्य और समय पर भुगतान की मांग दोहराते रहे हैं। किसान फिर से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि राजनीतिक दल उनके लिए बड़ी घोषणाएं करेंगे।
सूबे में 121 चीनी मिल हैं। इनमें अकेले मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के 13 जिलों के किसान 58 चीनी मिलों में गन्ना आपूर्ति करते हैं। सहारनपुर 08, मुजफ्फरनगर 08, शामली 03, मेरठ 06, बागपत 03 और बिजनौर में 10 चीनी मिल हैं। लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने किसानों के दरवाजे खटखटाने शुरू कर दिए हैं। एकतरफ भाजपा प्रत्याशी बढ़ाए गए गन्ना मूल्य का हवाला दे रहे हैं और दूसरी तरफ विपक्ष में सपा, बसपा और कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेता भाव और भुगतान को लेकर भविष्य का गणित किसानों को समझा रहे हैं। देखने वाली बात यह होगी कि इस बार गन्ने का मुद्दा कितना प्रभावी रहेगा। किस राजनीतिक दल के हिस्से में गन्ने का कितना रस आएगा।
भाकियू ने साल 2003-04 में गन्ना मूल्य के लिए बड़ा आंदोलन किया। सरकार ने लखनऊ में पंचायत पर रोक लगा दी थी। तत्कालीन भाकियू अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को रामपुर में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद कलक्ट्रेट में पंचायत हुई थी, जिसमें सिपाही ने टिकैत के सिर पर डंडे से वार कर घायल कर दिया था। इसके बाद राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में एतिहासिक पंचायत भी गन्ना मूल्य को लेकर हुई थी।
पेराई सत्र शुरू होने से पहले इस बार बकाया भुगतान के लिए पश्चिम यूपी के विभिन्न जिलों में पंचायतें हुईं। बुढ़ाना में एक महीने से अधिक तक किसानों का धरना प्रदर्शन चला। ट्रैक्टर मार्च भी किसानों ने निकाला था। शामली में भी पंचायत हुई थी।
किसानों को किस साल कितना मिला गन्ना मूल्य
पेराई सत्र अगेती सामान्य रिजेक्ट
2008-09 145 140 137.5
2009-10 170 165 162.5
2010-11 210 205 200
2011-12 250 240 235
2012-13 290 280 275
2013-14 290 280 275
2014-15 290 280 275
2015-16 290 280 275
2016-17 315 305 300
2017-18 325 315 310
2018-19 325 315 310
2019-20 325 315 310
2020-21 325 315 310
2021-22 350 340 335
2022-23 350 340 335
2023-24 370 360 355
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को हक मिलना चाहिए। फसल पर लागत अधिक और दाम कम से किसानों की आय दोगुनी नहीं होगी। हर साल खेती पर बढ़ते खर्च ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति का सही आकलन कर किसानों के नुकसान की भरपाई होनी चाहिए।
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान कहते हैं कि सरकार गन्ना किसानों के साथ खड़ी है। गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी इसका ताजा उदाहरण है। सूबे में गन्ना बीज बदलाव के लिए चीनी मिलें लगातार अभियान चला रही हैं। बाढ़ और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को सरकार ने सिर्फ 24 घंटे में ही मुआवजे का वितरण भी करके दिखाया है।
कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार का कहना है कि किसानों के हक के लिए लगातार सरकार से संवाद करेंगे। समय पर भुगतान कराने का प्रयास होगा। एक दो ग्रुप को छोड़ दें तो किसानों को लगभग तय समय में ही भुगतान भी किया जा रहा है। प्रत्येक चीनी मिल को समय पर भुगतान करना होगा। किसानों को परेशानी नहीं होने देंगे।
भाकियू अराजनैतिक के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि सरकार को गन्ना किसानों की चिंता करनी चाहिए। पर्याप्त दाम मिलने से ही समस्या का समाधान है। लागत के अलावा इस साल प्राकृतिक आपदा ने किसानों की कमर तोड़ दी है। उत्पादन प्रभावित हुआ। खुद चीनी मिलों के सर्वे में साफ हुआ है कि इस बार फसल कमजोर रही है। सरकार को विशेष राहत देनी चाहिए।
कृषि वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. बख्शी राम कहते हैं कि लागत कम करने के बाद ही किसान अधिक मुनाफा कमा सकता है। इस साल गन्ना मूल्य 390 रुपये प्रति क्विंटल मिलने की संभावना थी। गांव-गांव खुलती कीटनाशकों की दुकानों से खेती पर खर्च बढ़ा दिया है। आवश्यकता के अनुसार ही रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहिए।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि किसानों को जाति और धर्म छोड़कर अपनी एक किसान बिरादरी बनानी पड़ेगी। समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एकजुटता और जागरूकता जरूरी है। चुनाव के वक्त अगर किसान एकराय होकर मतदान करेंगे तो इसके नतीजे भी नजर आएंगे।
बिजली पर बनीं भाकियू, गन्ने के लिए आंदोलन
शामली के करमूखेड़ी में बिजली की दरों और आपूर्ति को लेकर खाप चौधरियों के आंदोलन से भाकियू का गठन हुआ। दिवंगत चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को अध्यक्ष बनाया गया था। सरकारें बदलती रहीं, लेकिन भाकियू ने गन्ना किसानों के लिए जिले से लखनऊ और दिल्ली तक आंदोलन किए। भाव और भुगतान के मुद्दे पर अब भी मांग जारी है।
गन्ना बेल्ट में सबसे पहले सहारनपुर के रामशरण दास को गन्ना मंत्री बनाया गया था। इसके बाद बिजनौर से स्वामी ओमवेश गन्ना राज्यमंत्री और भाजपा सरकार में शामली से सुरेश राणा कैबिनेट मंत्री रहे।