अलीगढ़ शनिवार को सहारनपुर से दिल्ली जा रही पैसेंजर ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद भी स्थानीय रेल प्रशासन सजग नहीं हुआ है। ए ग्रेड स्टेशन पर आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। अगर स्टेशन पर या ट्रेन में किसी कारणवश आग लग जाए तो यात्रियों को खुद ही अपनी जान बचानी होगी। स्टेशन परिसर पर आपात स्थिति से निपटने के लिए फायर सेफ्टी सिस्टम तक नहीं है। हालांकि, कुछ कार्यालयों में अग्निशमन यंत्र हैं।
शनिवार को सहारनपुर से दिल्ली जा रही पैसेंजर ट्रेन में अचानक आग लग गई, जिसके बाद यात्रियों की मदद से आग पर काबू पाया गया था। इस घटना ने यात्री सुरक्षा के तमाम दावों पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर भी आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं हैं। प्लेटफार्म नंबर दो पर आग बुझाने के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ बाल्टियां तो रखी हैं। लेकिन इन बाल्टियों की हालत जर्जर है। उनमें जमी बालू व भरे हुए पानी में काई जम गई है। जो इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सालों से उनकी सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया है।
अग्निशमन यंत्र भी प्लेटफार्म पर नहीं रखे गए हैं। इसके अलावा, प्लेटफार्म दो, तीन व चार पर मुख्य लाइन में पानी की भी व्यवस्था नहीं है, ट्रेनों में जब पानी खत्म हो जाता है तो उनको लूप लाइन पर ले जाया जाता है। ऐसे में प्लेटफार्म दो, तीन व चार पर यदि हादसा होता है तो पानी की तत्काल व्यवस्था करने में भी काफी वक्त लग सकता है। वहीं, स्थानीय फायर ब्रिगेड को स्टेशन तक पहुंचने में कम से कम आधे घंटे का वक्त लग सकता है। स्टेशन अधीक्षक डीके गौतम ने बताया कि स्टेशन परिसर में स्थित कार्यालयों में फायर सेफ्टी के लिए अग्निशमन यंत्र लगे हैं। आपात स्थिति में बचाव के लिए स्टेशन पर बाल्टियों में बालू व पानी भरा है
रेलवे स्टेशन पर यात्री सुरक्षा व्यवस्था केवल 40 सीसीटीवी के सहारे है। इन कैमरों से स्टेशन परिसर पर नजर रखी जाती है। प्रवेश द्वार से लेकर निकास द्वारा तक पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी से नदारद रहते हैं। मालगोदाम व सिविल लाइन साइड की जगहों से दीवारें भी टूटी हुई हैं। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा राम भरोसे हैं।
आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक चमन सिंह तोमर ने बताया कि स्टेशन परिसर में 40 सीसीटीवी लगे हैं। आरपीएफ के पास 10 मेटल हैंड डिटेक्टर हैं। कैमरों की निगरानी आरपीएफ के हाथ में है। इसकी निगरानी के लिए स्टेशन परिसर में एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। जहां से असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जाती है। आरपीएफ के पास केवल 70 लोगों का स्टॉफ है, जो ट्रेनों में ड्यूटी के साथ कार्यालय के काम पर भी नजर रखते है। स्टेशन अधीक्षक डीके गौतम ने बताया कि अभी स्टेसन पर 40 सीसीटीवी कैमरे हैं। जिनकी निगरानी आरपीएफ के हाथ में है। कैमरे स्टेशन परिसर की निगरानी करते हैं। वहीं 100 कैमरों की मांग रेलवे अधिकारियों को भेजी जा चुकी है।
ए ग्रेड श्रेणी में होने के बावजूद भी स्टेशन पर कई व्यवस्थाओं का अभाव है। पिछले कई सालों से स्थानीय अधिकारी लगेज स्कैनर, डोर मैटल डिटेक्टर की मांग कर भेज रहे हैं। अंडर व्हीकल सर्विलांस सिस्टम भी नहीं है। जिससे कोई भी संदिग्ध व्यक्ति स्टेशन परिसर में आसानी से प्रवेश कर सकता है।
रेलवे स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था राजकीय रेलवे पुलिस व रेलवे सुरक्षा बल के हवाले हैं। स्टेशन परिसर में पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के लिहाज से ड्यूटी लगाई जाती है। स्टेशन पर आठ प्लेटफार्म हैं, जिनमें सात प्लेटफार्मों से ट्रेनों का संचालन होता है। वर्तमान में स्टेशन पर रोजाना करीब दस हजार यात्रियों का आवागमन होता है। कोरोना काल में स्टेशन पर प्रवेश को लेकर कुछ पाबंदियां जरूर थीं। लेकिन हालात सामान्य होने के साथ ही स्टेशन के प्रवेश व निकास द्वार से पुलिसकर्मी नदारद रहते हैं। ऐसे में कोई भी बिना रोक टोक के स्टेशन पर आ जा सकता है।