अलीगढ़। यूपी के अलीगढ़ कोतवाली में हुए गोलीकांड का मुख्य आरोपी इनामी दरोगा मनोज शर्मा शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी की गिरफ्तारी सारसौल के पास से उस समय हुई जब वह कोर्ट में सरेंडर करने जा रहा था। दो घंटे पूछताछ के बाद दरोगा को सीजेएम कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। कोतवाली के तुर्कमान गेट चौकी क्षेत्र के हड्डी गोदाम के बुजुर्ग हार्डवेयर ताला व्यापारी शकील खां की 55 वर्षीय पत्नी इशरत निगार पासपोर्ट सत्यापन के लिए पिछले शुक्रवार को बेटे ईशान के साथ कोतवाली गई थीं। दोपहर करीब ढाई बजे मुंशियाने में मुंशी ने दरोगा मनोज शर्मा को मालखाने से उनकी सर्विस पिस्टल निकालकर दी। दरोगा ने वहीं खड़े-खड़े पिस्टल को चेक करते हुए फायर कर दिया।
पिस्टल से चली गोली महिला के सिर में जा लगी। जख्मी महिला ने उपचार के दौरान बुधवार देर रात मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ दिया। इस घटना में पुलिस ने बेटे की तहरीर पर पहले हमले का और बाद में हत्या व साजिश का मुकदमा दर्ज किया था। उसी मुकदमे में गाजियाबाद निवासी दरोगा की लगातार तलाश चल रही थी। उसके गैर जमानती वारंट जारी हुए और बाद में 20 हजार रुपये का इनाम घोषित हुआ। अब पुलिस कुर्की की तैयारी में थी। एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया, घटना में भागे हुए इनामी दरोगा को पुलिस टीमों ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले मुकदमे में लापरवाही का दूसरा आरोपी मुंशी भी जेल भेजा जा चुका है। अब विवेचनात्मक कार्यवाही जारी है।
पिछले दिनों दारोगा की गलती से पिस्टल से चली गोली से घायल महिला की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। घटना के बाद आरोपी दारोगा मौके से भाग निकला था। इसके बाद महिला के घर वालों ने विरोध जातते हुए कोतवाली को घेर लिया था। गोली लगने के तुरंत बाद महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिस दिन महिला को भर्ती कराया गया था उस दिन करीब दो घंटे तक उसका ऑपरेशन चला था। जिसमें दिमाग से एक मेटेलिक टुकड़ा भी निकाला गया था। लेकिन ऑपरेशन के बाद महिला की हालत में कोई सुधार नहीं आया। हालत और ज्यादा बिगड़ती चली गई।
इशरत निगार मेडिकल कॉलेज में 128 घंटे तक जिंदगी व मौत के बीच जूझती रही थी। उनको शुक्रवार की दोपहर जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। लेकिन करीब 128 घंटें में उन्हें एक बार भी होश नहीं आया। उनका वेंटीलेटर पर उपचार जारी रहा। परिजन समेत अन्य लोग उनके जल्द स्वस्थ होने की दुआएं करते रहे। पांच दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझते हुए महिला को देर रात मृत घोषित कर दिया गया था।