मुरादाबाद. यूपी की सियासत में जाट लैंड यानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बड़ा कद माना जाता है। कोई भी चुनाव हो उसके पहले चरण की शुरुआत इसी लैंड से होती है। यह भी कहा जाता है कि पहले चरण में होने के नाते जाट लैंड का मतदान आगे के चरणों की दिशा तय कर देता है।
ज्यादा पुरानी नहीं प्रदेश के बीते दो विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को ही देखें तो भाजपा का जाट लैंड में बेहतर प्रदर्शन उसे 2017 में और 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत तक ले गया। इसमें मुरादाबाद के कांठ के रहने वाले भूपेंद्र चौधरी की अहम भूमिका रही। उनकी जाटों अच्छी पकड़ और बेहतर संगठन सेवा का भाजपा ने तोहफा भी दिया। योगी की दोनों ही सरकार में भूपेंद्र चौधरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
योगी सरकार 2 में भी भूपेंद्र चौधरी पंचायती राज मंत्री हैं। बुधवार को उनका एमएलसी चुनाव का टिकट फिर से फाइनल हुआ है। इसके पहले भी वे विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। वैसे भाजपा की टीम में जाट लैंड के दो चौधरी माने जाते हैं, एक तो संजीव बालियान और दूसरे भूपेंद्र चौधरी।
संजीव बालियान मुजफ्फरनगर सीट से सांसद हैं और केंद्र सरकार में जाट लैंड का प्रतिनिधित्व करते हैं। राज्य सरकार में भूपेंद्र चौधरी हैं। जाटलैंड में उनके प्रयासों से भाजपा को काफी मजबूती मिली है। पार्टी ने उन्हें यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में जाटलैंड की नाराजगी को दूर करने के लिए लगाया था। वहां उनके लगातार जमे रहने का पार्टी को लाभ भी मिला।
भूपेंद्र चौधरी मुलायम सिंह से हार गए थे लोकसभा चुनावः भूपेंद्र चौधरी को भाजपा संगठन ने 1999 के लोकसभा चुनाव में सम्भल सीट से मैदान में उतारा था। सपा संरक्षक Mulayam Singh Yadav को भूपेंद्र चौधरी ने कड़ी टक्कर भी दी लेकिन, वह चुनाव हार गए थे। इसके बावजूद भाजपा संगठन ने उन पर भरोसा दिखाया । उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री।
दरअसल, भाजपा के संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करके फिर से मुरादाबाद और सम्भल लोकसभा सीटों पर विजय हासिल करने के लिए मंथन होने लगा है। इसलिए भूपेंद्र चौधरी के कंधों पर मुरादाबाद और सम्भल ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अन्य लोकसभा सीटों को भी जिताने का जिम्मा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उनके सियासी अनुभव को पूरा फायदा उठाना चाहती है।