आगरा. शाहगंज क्षेत्र की महिला डॉक्टर के परिवार को पांच लाख रुपये चौथ नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी गई। इससे दहशत में आकर डॉक्टर दंपती आगरा से पलायन कर राजस्थान में रहने को मजबूर हैं। शनिवार को पीड़ित महिला डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाला, जिसमें मुख्यमंत्री से कार्रवाई और सुरक्षा की गुहार लगा रही है। यह भी कहा है कि पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। कुख्यात सुधीर सिंह भदौरिया और उनके परिजनों पर राजनीतिक लोगों का हाथ होने का भी आरोप लगाया है।
शाहगंज क्षेत्र की रहने वाली महिला डॉक्टर ने 16 मार्च को मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें ऋषि मार्ग निवासी महेश सिंह, उसकी बहन ममता सिंह, पत्नी गौरी सिंह, मां, साली सुमन, रेनू सिंह और भाई सुधीर सिंह भदौरिया को नामजद किया। सुधीर फतेहगढ़ जेल में बंद है। वह उम्रकैद की सजा काट रहा है। महिला डॉक्टर ने वीडियो में कहा है कि पड़ोस में रहने वाले महेश और गौरी काफी समय से ब्लैकमेल कर रहे हैं।
उसने बताया कि 22 फरवरी को पांच लाख रुपये की चौथ मांगी। न देने के एवज में धोखे से बनाए फोटो वायरल करने की धमकी दी। चौथ की रकम नहीं देने पर तीन दिन बाद फोटो वायरल कर दिए। इसके बावजूद उन्होंने चौथ की रकम नहीं दी। तब महेश कुमार ने अपनी बहन के साथ मिलकर कुख्यात सुधीर सिंह से कई बार फोन करवाया। चौथ नहीं देने पर परिवार को जान से मारने की धमकी दी। डॉक्टर ने कहा कि वह परिवार सहित आगरा छोड़कर राजस्थान में रह रही है। यहां पर भी उनके डॉक्टर पति की कार को दो ट्रक के बीच टक्कर मार दी गई, इसमें पति घायल हो गए। उनका इलाज चल रहा है।
आत्महत्या के अलावा नहीं कोई चारा
पीड़ित डॉक्टर वीडियो में कह रही हैं कि ‘मुख्यमंत्री जी मेरी मदद कीजिए। कई दिन से वह पुलिस के चक्कर काट रही हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कभी एसएसपी ऑफिस जाती है तो कभी एसपी सिटी ऑफिस। मगर, कहीं भी सुनवाई नहीं होती है। थाने के चक्कर काटकर वो थक चुकी हैं। इन लोगों को स्थानीय राजनैतिक लोगों का सहयोग मिला है। इसलिए मेरी सुनवाई की जाए। मुख्यमंत्री जी इसमें आप सीधे हस्तक्षेप करें, जिससे मैं अपना चिकित्सा कार्य फिर से शुरू कर सकूं। यदि आप भी मदद नहीं करेंगे तो मेरे पास आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं होगा। परेशान होकर ही यह वीडियो बनाया है।’ हालांकि ये वीडियो बाद में सोशल मीडिया से हट गया।
बयान तक नहीं किए दर्ज
पीड़ित का आरोप है कि पुलिस ने बयान तक दर्ज नहीं किए हैं। पुलिस आई थी। उनसे ही महेश के बारे में पूछा गया। पुलिस कार्रवाई नहीं करना चाहती है। उन्हें मुकदमा दर्ज कराने के लिए एक जनप्रतिनिधि के पास जाना पड़ा था। उन्होंने पुलिस अधिकारी को फोन किया। उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया। मगर, थाने पर कार्रवाई के लिए नहीं कहा। इस कारण उन्हें कई दिन चक्कर काटने पड़े।
ये कहना है पुलिस अधिकारी का
इस मामले में एडीजी राजीव कृष्ण का कहना है कि मामले में मुकदमा दर्ज है। विवेचना में जो तथ्य निकलकर आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।