नई दिल्ली. देश में सरकार की ओर से कई बचत योजनाएं चलाई जा रही है. वहीं लोग निवेश के लिए भी कई अलग-अलग योजनाओं में पैसा लगाते हैं. इस कड़ी में सरकार की ओर से निवेश और बचत की एक शानदार स्कीम भी चलाई जा रही है. इस स्कीम का नाम पब्लिक प्रोविडेंट फंड है. इस स्कीम के लिए जरिए लोगों को लंबी अवधि के लिए बचत और निवेश करने का मौका मिलता है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ स्कीम केंद्र सरकार के जरिए चलाई जाती है. इस स्कीम के जरिए भारत के नागरिक सालाना आधार पर राशि जमा कर सकते हैं. साथ ही इस स्कीम में लंबी अवधि के लिए पैसा निवेश किया जा सकता है. पीपीएफ स्कीम 15 सालों तक निवेश करने के लिए लोगों को प्रेरित करती है और 15 साल बाद इसकी मैच्योरिटी होती है.
फिलहाल सरकार की ओर से पीपीएफ स्कीम पर 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मुहैया करवाया जा रहा है. हालांकि इस स्कीम में पैसा लगाते हुए लोग अक्सर एक छोटी गलती कर देते हैं, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. दरअसल, पीपीएफ अकाउंट खुलवाते वक्त बहुत से लोग इसमें नॉमिनेशन दाखिल नहीं करवाते हैं, जिसके कारण उनके परिवार को आगे चलकर दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है.
बता दें कि पीपीएफ आपको एक से ज्यादा लोगों को नॉमिनेट करने की इजाजत देता है. आप चाहें तो अपने पीपीएफ खाते में एक या एक से ज्यादा नॉमिनी को नॉमिनेट कर सकते हैं. नॉमिनी के एक से अधिक व्यक्ति होने की स्थिति में पीपीएफ खाताधारक को हिस्से के प्रतिशत का उल्लेख करना होगा. पीपीएफ खाते की अवधि के दौरान किसी भी समय नॉमिनी को बदल सकते हैं या रद्द कर सकते हैं.
पीपीएफ खाते में नॉमिनी इसलिए जरूरी है ताकी अगर पीपीएफ खाताधारक की मृत्यु हो जाए तो पीपीएफ खाते में जमा राशि उनके नॉमिनी को मिल सके. वहीं अगर पीपीएफ खाते में नॉमिनी को नहीं जोड़ा गया है और पीपीएफ अकाउंट के मैच्योरिटी से पहले ही पीपीएफ खाताधारक की मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उसके परिवार को पीपीएफ के पैसों के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.