टोक्यो| ओलंपिक में शुक्रवार को भारतीय महिला हॉकी टीम इतिहास रचने से चूक गई। ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ हार के साथ ही महिला हॉकी टीम का ओलंपिक पदक जीतने का सपना अधूरा रह गया। वहीं टीम का हिस्सा बनीं हरिद्वार की वंदना कटारिया के भाई का कहना है कि भारतीय महिला हॉकी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
वंदना कटारिया के भाई पंकज कटारिया ने अमर उजाला से हुई बातचीत में कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम शानदार खेली। खेल में हार-जीत लगी रहती है। लेकिन टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और यही उनके लिए पदक है। वंदना के प्रदर्शन से परिवार और गांव के लोग उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वंदना जब गांव लौटेंगी तो उनका भव्य स्वागत किया जाएग
बता दें कि भले की भारतीय महिला हॉकी टीम ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाई, लेकिन वंदना कटारिया ने ओलंपिक में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचा है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में वंदना ने तीन गोल दागे और टीम को जीत दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई।
वंदना ने ओलंपिक में हैट्रिक लगाकर पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी का यह खिताब भी अपने नाम कर लिया। बता दें कि 1984 के बाद किसी भारतीय ने ओलंपिक में हैट्रिक नहीं लगाई थी।
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं वंदना
वंदना कटारिया का जन्म 15 अप्रैल 1992 में रोशनाबाद में ही हुआ है। वंदना कटारिया ने पहली बार जूनियर अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में 2006 में प्रतिभाग किया। वर्ष 2013 में देश में सबसे अधिक गोल करने में सफल रहीं। जर्मनी में हुए जूनियर महिला विश्वकप में वंदना कटारिया कांस्य पदक विजेता बनीं
वंदना ने हॉकी में फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं। बहादराबाद ब्लॉक क्षेत्र के गांव रोशनाबाद निवासी वंदना कटारिया ने पढ़ाई के साथ हॉकी को अपना कॅरियर बनाने के लिए जी जान से मेहनत की है।2021 मई में पिता नाहर सिंह का आकस्मिक निधन हो गया था। तब गांव नहीं आ पाई थीं। तब वह ओलंपिक के लिए बेंगलुरु में चल रहे कैंप में तैयारी कर रही थीं। उनकी मां समेत चार भाई और पांच बहनें हैं। सभी भाइयों की शादी हो चुकी है। वंदना और अंजलि की अभी शादी नहीं हुई है। भाई पंकज ने बताया कि उन्हें अपनी बहन पर गर्व है।
2021 मई में पिता नाहर सिंह का आकस्मिक निधन हो गया था। तब गांव नहीं आ पाई थीं। तब वह ओलंपिक के लिए बेंगलुरु में चल रहे कैंप में तैयारी कर रही थीं। उनकी मां समेत चार भाई और पांच बहनें हैं। सभी भाइयों की शादी हो चुकी है। वंदना और अंजलि की अभी शादी नहीं हुई है। भाई पंकज ने बताया कि उन्हें अपनी बहन पर गर्व है।