नई दिल्ली। आप में से कई लोगों को एसडीएम और एसडीओ ऑफिस से कभी न कभी कोई काम तो जरूर पड़ा होगा. इसके अलावा आपलोग अपने बीच कई बार किसी को यह भी कहते सुना होगा कि मैं SDO ऑफिस जा रहा हूं या SDM ऑफिस जा रहा हूं. इन दोनों नामों को सुनने के बाद अक्सर लोगों के बीच कंफ्यूजन रहता है कि क्या दोनों एक ही होता है या दोनों में अंतर भी है. अगर आपको भी ऐसी कंफ्यूजन हो रही है, तो नीचे विस्तार से पढ़ सकते हैं.
SDM का फुल फॉर्म सब डिविजनल मजिस्ट्रेट होता है. सब डिवीजन SDM द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो अक्सर जिला स्तर से नीचे का एक प्रशासनिक अधिकारी होता है. एक SDM कलेक्टर और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियों का लाभ उठाता है. SDM भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक जूनियर मेंबर के साथ राज्य सिविल सेवा का एक सीनियर अधिकारी हो सकता है. SDM 1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता और कई अन्य छोटी-छोटी कार्रवाइयों के तहत विभिन्न मजिस्ट्रेटी कर्तव्यों का संचालन करता है. SDM का अपने अनुमंडल के तहसीलदारों पर पूर्ण नियंत्रण होता है और वह अपने अनुमंडल के जिला अधिकारी और तहसीलदार दोनों के बीच संबंध की एक कड़ी का प्रतिनिधित्व करता है.
SDM की जिम्मेदारियां
गाड़ियों का पंजीकरण
राजस्व का कार्य
चुनाव आधारित कार्य
विवाह पंजीकरण
ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण और जारी करना
शस्त्र लाइसेंस का नवीनीकरण और जारी करना
ओबीसी, एससी/एसटी और डोमिसाइल जैसे प्रमाणपत्र जारी करना
SDO का मतलब सब डिविजनल ऑफिसर होता है. वह सरकार के सब डिवीजनल संगठन का प्रमुख होता है. SDO का पद कई सरकारी विभागों जैसे बिजली बोर्ड, पीडब्ल्यूडी सिंचाई आदि में होता है. हम कह सकते हैं कि लगभग हर सरकारी विभाग में SDO नियुक्त किए जाते हैं. जैसा कि नाम से पता चलता है, वह एक सब डिवीजन लेवल का अधिकारी होता है, जो विभिन्न कार्यों को करता है. किसी विभाग के कर्मचारियों को उनके अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर SDO के पद पर पदोन्नत किया जा सकता है. इसके अलावा, SDO की भर्ती राज्य सरकार द्वारा PCS (लोक सेवा आयोग) परीक्षाओं के माध्यम से भी की जाती है. इसके अलावा एक SDO का कार्य उस विभाग पर निर्भर करता है जिससे वह संबंधित है.
SDO की जिम्मेदारियां
सब डिवीजन के SDO (सिविल) के कार्य लगभग एक जिले के उपायुक्त के कार्यों के समान हैं. वह उपायुक्त के मुख्य एजेंट के रूप में कार्य करता है. वह अनुमंडल में विकास परियोजनाओं का प्रमुख होता है और विभिन्न विभागों के कार्यों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वह स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में वह अपने सब डिवीजन में होने वाली हर चीज के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होता है. उनकी शक्तियों का दायरा भू-राजस्व और किरायेदारी अधिनियमों के अनुसार है. वह जिला मजिस्ट्रेट के अधीनस्थ होता है और अपने अधिकार क्षेत्र में शांति, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जवाबदेह होता है.