शिमला। 2022 के अंत में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जीत के बाद कांग्रेस को मिली सत्ता पर अब संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को मिली करारी हार के बाद अब सुक्खविंदर सिंह सुक्खू की सरकार का गिरना लगभग तय हो चुका है। 40 के मुकाबले 25 के भारी अंतर के बावजूद भाजपा ने जिस तरह कांग्रेस को मात दी है वह पार्टी के रणनीतिकारोंं के लिए बड़ा झटका और कभी ना भूल सकने वाला सबक है।
भाजपा ने बाजी पलटने के लिए एक बार फिर कांग्रेस के ही एक पुराने मोहरे का इस्तेमाल किया। भाजपा की ओर से राज्यसभा का चुनाव जीतने वाले हर्ष महाजन ही वह शख्स हैं जो कभी कांग्रेस के मजबूत सिपाही थे और अब पहाड़ी राज्य में कमल खिलाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी रहे हर्ष महाजन तीन बार विधायक और एक बार मंत्री रहे हैं। चंबा के रहने वाले हर्ष महाजन के पिता देशराज महाजन भी कांग्रेस के नेता थे।
2022 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हर्ष महाजन को भगवा कैंप ने हिमाचल में ‘चाणक्य’ के तौर पर इस्तेमाल किया। हर्ष को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही यह आशंका जताई जा रही थी कि पहाड़ी राज्य की सियासत में कुछ गर्माहट दिख सकती है। हर्ष महाजन वीरभद्र के बड़े रणनीतिकार और अहम सहयोगी थे। उनका कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर सभी बड़े नेताओं के बीच संपर्क है। हर्ष महाजन ने अपने पुराने परिचय का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस के बागी गुट को अपने साथ जोड़ लिया।
सोमवार को जब राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चल रही थी तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के मीडिया में आए बयानों ने साफ कर दिया था कि उन्हें जमीन खिसक जाने का अहसास हो चुका है। शाम को परिणाम आए तो वही हुआ जिसका डर था। दोनों ही दलों को 34-34 वोट मिले थे। बाद में पर्ची ने भी भाजपा का साथ दिया और भगवा कैंप ने वह कर दिया जिसकी कल्पना हिमाचल से बाहर बैठे बहुत से सियासी पंडित नहीं कर पाए थे।