कतर में चल रहे 22वें फीफा वर्ल्ड कप का खुमार पूरी दुनिया में छाया हुआ है. भारत में भी लाखों फुटबॉल प्रेमी 4 साल में होने वाले इस खेल महाकुंभ का जश्न मना रहे हैं. खासकर केरल, पश्चिम बंगाल, गोवा और पूर्वोत्तर के राज्यों में फुटबॉल वर्ल्ड कप का ज्यादा क्रेज देखने को मिल रहा है. लेकिन कट्टरपंथी मौलवियों को लोगों का यह फुटबॉल प्रेम रास नहीं आ रहा है. देश में सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य का दर्जा रखने वाले केरल के एक प्रभावशाली मुस्लिम संगठन ने इस फुटबॉल प्रेम के खिलाफ फतवा जारी किया है. संगठन ने कहा है कि खिलाड़ियों को हीरो बना कर पूजा करना इस्लाम के खिलाफ है और ऐसे पागलपन पर लगाम लगाने की जरूरत है.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार यह फतवा केरल में मौलवियों के प्रभावशाली संगठन ‘समस्त केरला जमलयाथिल ख़ातिब कमेटी’ ने जारी किया है. यह संगठन केरल में कांग्रेस की सहयोगी मुस्लिम पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिग लीग से जुड़ा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को नमाज के बाद कमेटी के जनरल सेक्रेटरी मौलवी नसर फैज़ी कुड्डथई ने तकरीर दी.
इस तकरीर में मौलवी फैजी ने कहा कि केरल में फुटबॉल का पागलपन पूरी तरह हावी हो चुका है. राज्य के नौजवान फुटबॉल खिलाड़ियों के बड़े-बड़े कटआउट लगवाकर पैसा बर्बाद करने में लगे हैं. खिलाड़ियों को हीरो बनाकर उनकी पूजा की जा रही है. इस्लाम में इस तरह की हरकतों की मनाही की गई है. ऐसा करना पूरी तरह इस्लाम के खिलाफ है. सच्चे मुसलमानों को इस तरह के ‘पागलपन’ पर रोक लगाने के लिए आगे आना चाहिए. इस पैसे को इस्लाम के प्रचार और लोगों की भलाई में खर्च किया जाना चाहिए.
बताते चलें कि केरल में मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है. इनमें से अधिकतर हिंदुओं से कन्वर्ट हुए मुस्लिम हैं. खाड़ी देशों में काम करने की वजह से केरल के मुसलमान देश के बाकी मुस्लिमों की तुलना में ज्यादा समृद्ध हैं. फुटबॉल को लेकर उनमें जबरदस्त क्रेज देखने को मिलता है. फुटबॉल वर्ल्ड कप में भारत की टीम शामिल नहीं है. इसलिए केरल के मुस्लिम फुटबॉल लवर अपनी-अपनी पसंद के अनुसार दूसरे देशों की टीमों को समर्थन दे रहे हैं. उनकी बीच फुटबाल की दीवानगी का आलम ये है कि कईयों ने दूसरे देशों के फुटबॉल खिलाड़ियों के बड़े-बड़े कट आउट और होर्डिंग भी लगवा लिए हैं.