मुजफ्फरनगर. खतौली विधानसभा सीट भाजपा से राष्ट्रीय लोकदल के पास आने के साथ ही जिले के राजनीतिक समीकरण भी बदल गए हैं। बीती विधानसभा में यहां जो दबदबा भाजपा का था, अब वो सपा-आरएलडी का है।
शामली 2011 से पहले मुजफ्फरनगर जिले का ही हिस्सा था। ऐसे में इन दोनों जिलों की राजनीति को जोड़कर देखा जाता है। खतौली उपचुनाव में आरएलडी की जीत के साथ ही यहां गठबंधन का दबदबा बढ़ गया है। भाजपा के पास यहां सिर्फ एक विधायक है।
मुजफ्फरनगर में 6 तो शामली में 3 विधानसभा सीट हैं। इस साल मार्च में हुए विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सदर और खतौली सीट भाजपा ने जीती थी। खतौली उसके हाथ से चली गई है। अब भाजपा के पास सिर्फ सदर सीट बची है। जहां से कपिल अग्रवाल विधायक हैं।
मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना सीट से राष्ट्रीय लोकदल के राजपाल बालियान, मीरापुर में राष्ट्रीय लोकदल के चंदन चौहान, पुरकाजी में राष्ट्रीय लोकदल के अनिल कुमार और खतौली में राष्ट्रीय लोकदल के मदन भैया विधायक हैं। मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट से सपा के पंकज मलिक एमएलए हैं।
शामली की तीनों सीट RLD के पास हैं। शामली की सदर से राष्ट्रीय लोकदल के प्रसन्न चौधरी, थानाभवन सीट से राष्ट्रीय लोकदल के अशरफ अली, कैराना सीट से सपा के नाहिद हसन विधायक हैं।
2017 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तो जो आज गठबंधन की स्थिति है। वो भारतीय जनता पार्टी की थी। 2017 में भाजपा ने मुजफ्फरनगर की सभी 6 सीटें जीती थीं। शामली में भी बीजेपी 3 में से 2 सीटों पर जीत मिली थी।