मेरठ. मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में करीब सात साल से बंद पड़ी रेडियोथैरेपी अगले सप्ताह से शुरू हो जाएगी। अब रेडियोथैरेपी की जरूरत वाले कैंसर के मरीज दिल्ली- अलीगढ़ रेफर नहीं करने पड़ेंगे। मुंबई से कोबाल्ट 60 लाकर उसे इंस्टॉल कर दिया गया है। अब यहां कैंसर के मरीजों की रेडियोथैरेपी शुरू हो जाएगी।

मेरठ ही नहीं पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मरीज यहां इलाज करा सकेंगे। इसके लिए शासन ने सवा करोड़ रुपये से अधिक राशि मेडिकल कॉलेज प्रशासन को दी थी। हालात यह हैं कि जिले के सरकारी अस्पतालों में रेडियोथैरेपी है ही नहीं। पीएल शर्मा जिला अस्पताल में तो इलाज की सुविधा पहले से ही नहीं है, जबकि मेडिकल में पहले सुविधा थी, मगर पिछले सात साल से इलाज के लाले पड़े हैं।

सात मई 2015 से मेडिकल में नहीं हो रही रेडियोथैरेपी
सात मई 2015 से मेडिकल में रेडियोथैरेपी नहीं हो रही है। रेडियो एक्टिव सोर्स कोबाल्ट 60 (इसी की मदद से रेडियोथैरेपी होती है) की क्षमता क्षीण हो गई थी। तब से नया कोबाल्ट 60 नहीं आया था। तभी से हर साल कैंसर के 500 से अधिक लोगों को अलीगढ़ और जीटीबी दिल्ली रेफर किया जाता है।

सीजीएम-137 रेडियो एक्टिव सोर्स भेजा मुंबई
रेडियोथैरेपी के लिए सीजीएम-137 रेडियो एक्टिव सोर्स 1997 में खरीदा गया था, यह भी तब से बेकार पड़ा हुआ था। इसे परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एटॉमिक एनर्जी रेग्युलेट्री बोर्ड) मुंबई भेज दिया गया है, जहां इसे नष्ट किया जाएगा। वहीं से कोबाल्ट 60 को सुरक्षा में मेडिकल लाकर इंस्टॉल किया गया है।

गरीब मरीजों को मिलेगा लाभ
कोबाल्ट 60 इंस्टॉल हो गया है। अगले सप्ताह से रेडियोथैरेपी शुरू हो जाएगी। इससे गरीब मरीजों को लाभ मिलेगा। – डॉ. एके तिवारी, विकिरण सुरक्षा अधिकारी, मेडिकल कॉलेज

मेडिकल के लिए बड़ी उपलब्धि
इसके लिए पूरा प्रयास किया गया, जिसमें सफलता मिली है। सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। फिर से रेडियोथैरेपी शुरू होना बड़ी उपलब्धि होगी। – डॉ. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज

ये है रेडियोथैरेपी
आयनकारी विकिरण का उपयोग करके की जाने वाली चिकित्सा विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थेरेपी या रेडियोथैरेपी) कहलाती है। यह प्राय: कैंसर के उपचार में खराब कोशिकाओं को मारने के काम आती है। इसके द्वारा कैंसर तथा कुछ अन्य रोगों की चिकित्सा या रोकथाम विकिरण के चिकित्सीय अनुप्रयोग में किया जाता है। निजी अस्पतालों में जितनी रेडियोथैरेपी के दो लाख रुपये लगते हैं, मेडिकल में वह एक से दो हजार रुपये में उपलब्ध हो सकती है।