शामली ज़िले के कैराना में एक निजी स्कूल में नौवीं की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद सवाल उठ रहा है कि छात्रा ने आत्महत्या की या उसकी हत्या की गई.
26 मार्च को अनुष्का शर्मा नाम की छात्रा संदिग्ध परिस्थितियों में तीसरी मंज़िल से गिर गई थी. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक़, परिजन ने स्कूल प्रशासन के साथ मिलकर बिना पुलिस को सूचना दिए उसी दिन छात्रा का अंतिम संस्कार कर दिया.
अनुष्का के पिता मुकेश शर्मा दावा करते हैं कि स्कूल प्रशासन ने उन्हें भरोसा दिया था कि घटना की सीसीटीवी फ़ुटेज मौजूद है जो उन्हें मुहैया करा दी जाएगी.
मुकेश शर्मा कहते हैं, “स्कूल प्रबंधन ने हमें बताया था कि अनुष्का ने आत्महत्या की है और इसके साक्ष्य मौजूद हैं. प्रबंधन के भरोसे में आकर बिना पोस्टमॉर्टम कराए और पुलिस को सूचना दिए हमने उसका अंतिम संस्कार कर दिया.”
मुकेश शर्मा का आरोप है कि बाद में स्कूल प्रशासन ने उन्हें घटना की सीसीटीवी फ़ुटेज नहीं दी जिसके बाद उन्हें शक़ हुआ कि उनकी बेटी के साथ कहीं कुछ ग़लत तो नहीं हुआ.
छात्रा के पिता का कहना है कि पहले उन्होंने घटना को आत्महत्या ही माना था लेकिन अब उन्हें अपनी बेटी की हत्या किए जाने का शक है
छात्रा के पिता का कहना है कि पहले उन्होंने घटना को आत्महत्या ही माना था, लेकिन अब उन्हें अपनी बेटी की हत्या किए जाने का शक़ है
फ़िलहाल पुलिस ने परिजनों की शिकायत पर मुक़दमा दर्ज कर लिया है और घटना के हर पहलू की जांच की जा रही है
पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में अब परिजन ने अनुष्का की हत्या किए जाने का शक़ भी ज़ाहिर किया है.
शामली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुकृति माधव कहते हैं, “पुलिस को अंतिम संस्कार के बाद मौत की सूचना दी गई थी, इसलिए पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जा सका है. हम घटना के हर पहलू की जांच कर रहे हैं, परिजन ने हत्या की आशंका ज़ाहिर की है, इस एंगल से भी जांच की जा रही है.”
माधव कहते हैं, “लेकिन अभी तक की जांच में जो तथ्य हमारे सामने आए हैं, उनकी रोशनी में ये मामला आत्महत्या का अधिक लग रहा है. पुलिस अब फ़ोरेंसिक और तकनीकी सबूतों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाएगी और घटना का जो भी सच है उसे सामने लाएगी
पिता मुकेश शर्मा के मुताबिक़ रोज़ की तरह उन्होंने सुबह साढ़े आठ बजे के क़रीब अपनी बेटी को स्कूल छोड़ा था.
स्कूल प्रबंधन के मुताबिक़, 26 मार्च को छात्रा का सोशल साइंस विषय की दोबारा परीक्षा थी. इस विषय में छात्रा को कम अंक आए थे. लेकिन छात्रा पेपर देने कमरे में नहीं पहुंची.
स्कूल के चेयरमैन राजकुमार गोयल बताते हैं, “9वीं क्लास के कुल 15 छात्रों की दोबारा परीक्षा थी. सुबह 9 बजे परीक्षा शुरू होनी थी. 14 बच्चे कक्ष में पहुंच गए थे लेकिन जब अनुष्का नहीं पहुंची तो परीक्षक ने इस बारे में उनके क्लास टीचर को जानकारी दी
राजकुमार कहते हैं, “छात्रा को तुरंत खोजा जाने लगा. स्कूल के सभी वॉशरूम चेक किए गए, लेकिन वो कहीं नहीं मिली. इसी बीच स्कूल की सफ़ाई कर्मचारी अनीता ने उसे तीसरी मंज़िल के दरवाजे की जाली से देखा. उसके पैर उसे दिखाई दिए. दरवाज़ा पीछे से बंद था.
राजकुमार दावा करते हैं, “अनिता ने शोर मचाया, शिक्षक और अन्य कर्मचारी बाहर निकल आए. तब तक अनुष्का जाली पर बैठ गई थी. टीचर ने इशारा करके उससे पीछे हटने के लिए कहा, लेकिन वो पीछे की तरफ़ गिर गई.”
हालांकि सीसीटीवी के टाइम स्टैंप में फ़र्क़ है. स्कूल के सीसीटीवी के टाइम स्टैंप के मुताबिक़, ये घटना सुबह 9 बजकर 53 मिनट की है. सीसीटीवी फ़ुटेज के बारे में एसएसपी सुकृति माधव का कहना है, “हमने डीवीआर को फ़ोरेंसिक जांच के लिए भेजा है. फ़ोरेंसिक रिपोर्ट के बाद ही सीसीटीवी फ़ुटेज के बारे में कुछ कहा जा सकेगा.
सीसीटीवी में स्कूल के मैनेजर संजीव गोयल नीचे गली में ऊपर से गिरती अनुष्का को पकड़ने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
संजीव दावा करते हैं, “मैंने छात्रा को बचाने की पूरी कोशिश की. मेरे हाथ में भी चोट आई है. लेकिन मैं उसे बचा नहीं सका. मैंने 32 साल पहले ये स्कूल शुरू किया था. इसकी पहचान बनाई. इस एक घटना ने हमारी साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.”
स्कूल प्रबंधन का दावा है कि उनके सीसीटीवी में समय 25-26 मिनट आगे है. फ़िलहाल स्कूल के सीसीटीवी की तीन डीवीआर पुलिस के कब्ज़े में हैं और उनकी फ़ोरेसंकि जांच चल रही है.
अनुष्का को सुबह 9 बजकर 29 मिनट (सीसीटीवी के टाइम स्टैंप के मुताबिक़ 9 बजकर 32 मिनट) पर अस्पताल ले जाया गया था. इस अस्पताल और अनुष्का के स्कूल के बीच की दूरी क़रीब दो मिनट की है. अनुष्का को स्कूल के चेयरमैन की कार से ले जाया गया था.
लाइफ़ क्योर नाम के इस अस्पताल के संचालक डॉक्टर अज़ीम अनवर ने अनुष्का को फ़र्स्ट एड दी थी.
डॉक्टर अज़ीम अनवर कहते हैं, “जब बच्ची अस्पताल आई थी तब उसका बहुत ख़ून बह रहा था. उसकी गर्दन टूटी हुई थी और एक टांग भी टूट गई थी. हमने उसे फ़र्स्ट एड दिया. उसे शॉक का ख़तरा था, इसलिए हमने उसके रेफ़रल पेपर तैयार करके तुरंत पानीपत के बड़े अस्पताल के लिए रेफ़र कर दिया.”
इस दौरान सुबह 9 बजकर 48 मिनट पर स्कूल के एक शिक्षक ने एंबुलेंस सेवा 108 पर फ़ोन करके एंबुलेंस मंगाई थी. लेकिन 108 सेवा की तरफ़ से बताया गया था कि एंबुलेंस पहुंचने में बीस मिनट तक का समय लग सकता है.
डॉक्टर अज़ीम अनवर कहते हैं, “मैंने बच्ची के साथ आए लोगों से कहा था कि उसे तुरंत बेहतर इलाज की ज़रूरत है. बीस मिनट इंतज़ार नहीं किया जा सकता है. फिर उनकी गाड़ी में ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर उसे पानीपत भेज दिया गया था.”
स्कूल प्रबंधन के मुताबिक़, वो छात्रा को पानीपत के ऑस्कर अस्पताल ले गए थे जहां पहुंचने से पहले ही रास्ते में उसकी मौत हो गई थी.
इसी बीच स्कूल प्रशासन ने छात्रा के पिता को फ़ोन करके तुरंत स्कूल पहुंचने के लिए कहा था. वो जब पहुंचे तब छात्रा लाइफ़ क्योर अस्पताल में थी.
मुकेश बताते हैं, “वो बेहोश थी, उसका बहुत ख़ून बह रहा था, उसे पानीपत भेज दिया गया था, मैं कुछ पैसों का इंतेज़ाम करने और उसकी मां को साथ लेने गांव आया. स्कूल प्रबंधन ने हमसे कहा कि उसे प्रेम अस्पताल ले जाया जा रहा है. लेकिन जब हम पानीपत के प्रेम अस्पताल पहुंचे तो हमें बताया गया कि वो ऑस्कर अस्पताल में हैं. हम जब तक वहां पहुंचे उसकी मौत हो चुकी थी.”
परिजन का कहना है कि अनुष्का बहुत ख़ुश रहती थी और ये यक़ीन करना मुश्किल है कि वो आत्महत्या कर सकती है
मुकेश कुमार और बुच्चाखेड़ी गांव के कई लोग ये कहते हैं कि स्कूल प्रबंधन ने उन्हें घटना से जुड़ा सीसीटीवी फ़ुटेज दिखाने के लिए कहा था.
गांव के लोगों का दावा है कि जब बच्ची का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद वो स्कूल परिसर में गए तो उन्हें सीसीटीवी फ़ुटेज नहीं दिखाई गई.
अगले दिन ग्रामीण समूह बनाकर स्कूल गए और फिर से सीसीटीवी फ़ुटेज देखने की मांग की. मुकेश दावा करते हैं कि स्कूल प्रशासन बार-बार आग्रह करने पर भी घटनाक्रम से जुड़ा सीसीटीवी फ़ुटेज नहीं दिखा सका, इसके बाद वो थाने पहुंचे और अपनी शिकायत दी.
सीसीटीवी न दिखाए जाने के सवाल पर स्कूल प्रबंधन कहता है, “तकनीकी कारणों से कुछ कैमरों की फ़ुटेज उस समय नहीं दिखाई जा सकी थी. बात में टेक्नीशियन बुलाकर फ़ुटेज हासिल की गई. लेकिन अब डीवीआर पुलिस के पास है.”
कुछ कैमरों में 25 मार्च के बाद की फ़ुटेज नहीं है. ‘ऐसा क्यों हुआ’ इस सवाल पर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि तकनीकी कारणों से रिकॉर्डिंग नहीं हुई होगी. स्कूल के प्रबंधक कहते हैं, “16 कैमरों की फ़ुटेज नहीं है, लेकिन 32 अन्य कैमरों की फ़ुटेज है जो पुलिस को दे दी गई है.”
पुलिस को शिकायत 27 मार्च को दी गई थी और 29 मार्च को आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया गया.
घटना से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज जिसमें स्कूल की शिक्षिका छात्रा से पीछे हटने के लिए कह रही हैं. बीबीसी इस फुटेज की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका है
मुकेश का आरोप है कि उनकी बेटी के जूते स्कूल की छत पर मिले थे. वो कहते हैं, “यदि वो आत्महत्या करती तो वो जूते क्यों उतारती. वो घर से ख़ुश होकर गई थी और दोपहर 12 बजे उसे अपने मामा के बेटे के बर्थडे में जाना था. उसने मुझसे कहा था कि मैं उसे लेने समय पर आ जाऊं.
अनुष्का के परिजनों को अब इस बात पर यक़ीन नहीं हो रहा है कि उनकी बेटी आत्महत्या कर सकती है. मुकेश का दावा है कि उनकी बेटी ने स्कूल के एक शिक्षक के आपत्तिजनक व्यवहार के बारे में घर पर शिकायत भी की थी. वो कहते हैं कि इस बारे में उन्होंने स्कूल को सूचित किया था. हालांकि स्कूल प्रबंधन इन आरोपों से इनकार करता है.
अनुष्का जब अस्पताल पहुंची थी तब उसने जूते नहीं पहने हुए थे. डॉक्टर अनवर बताते हैं कि उसके कपड़े ख़ून से सने हुए थे. उसने पैंट पहनी हुई थी और शर्ट पूरी तरह ख़ून में भीगी थी. अस्पताल की एक नर्स भी इसकी पुष्टि करती है.
हालांकि बुच्चाखेड़ी गांव के रहने वाले और अनुष्का के रिश्ते के चाचा दीपक शर्मा सवाल उठाते हैं, “हो सकता है जो लोगों ने नीचे से देखा हो वो पूरा सच ना हो. छत पर कोई और भी हो जिसने धक्का दिया हो या जिससे बचने की कोशिश में बच्ची नीचे गिर गई हो.
स्कूल प्रबंधन का दावा है कि छात्रा जब छत से कूदी थी तब उसके हाथ में एक सुसाइड नोट भी था जिसे बाद में पुलिस को सौंप दिया गया था.
इस कथित सुसाइड नोट में छात्रा ने फ़ेल होने से परेशान होने का ज़िक्र किया है और स्कूल प्रबंधन से आगे किसी और छात्र को फ़ेल न करने की गुज़ारिश की है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुकृति माधव कहते हैं, “हम सुसाइड नोट की जांच करवा रहे हैं. ये सुसाइड नोट घटना की जांच के लिए बेहद अहम है. हम इसकी सत्यता तक पहुंचने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.”
वहीं परिजन का कहना है कि उन्हें सुसाइड नोट के बारे में अख़बार की रिपोर्ट से पता चला, स्कूल प्रबंधन ने इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी.
इस पर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि ‘ये घटना का सबसे अहम सबूत हो, इसलिए उन्होंने इसे सीधे पुलिस को ही सौंपा है.
राजकुमार कहते हैं, “यदि हम इसे परिजनों को सौंप देते और ये पुलिस तक ना पहुंचता तो घटना का एक अहम सबूत ग़ायब हो सकता था. पुलिस इस नोट की जांच कर रही है.”
मुकेश अब अपनी बेटी की मौत का सच सामने लाने के लिए सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. उन्होंने एसएसपी से मिलकर एसआईटी जांच की मांग भी की है.
एसएसपी सुकृति माधव कहते हैं, “हम घटना की संवेदनशीलता को समझ रहे हैं. एक मासूम बच्ची की मौत हुई है. बहुत से लोग इस घटना से भावनात्मक रूप से प्रभावित हैं. हमारी जांच सही दिशा में है और हमें विश्वास है कि फ़ोरेंसिक और टेक्निकल रिपोर्टें मिलने के बाद हम घटना का सच सामने ले आएंगे.”
बुच्चाखेड़ी और आसपास के गांव के लोग इंसाफ़ मांगने के लिए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं
एसआईटी जांच के सवाल पर वो कहते हैं, “हम परिजनों की इस मांग को मानने के लिए तैयार हैं. एक बार रिपोर्टें आ जाएं तो हम एसआईटी भी गठित कर देंगे.
इस घटना के संबंध में पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफ़्तार नहीं किया है. क्या कोई गिरफ़्तारी हो सकती है, इस सवाल पर एसएसपी कहते हैं, “यदि किसी की कोई भी संलिप्तता पाई गई तो हम गिरफ़्तारी करेंगे. किसी बेगुनाह को पकड़ा नहीं जाएगा और यदि कोई गुनहगार है तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा
एसएसपी कहते हैं, “पीड़िता का पोस्टमार्टम नहीं हो सका था. कई फ़ोरेंसिक सबूत जुटाने का हमें मौका नहीं मिला क्योंकि हमें तुरंत सूचित नहीं किया गया था. घटना के सच तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन हम जल्द ही उस तक पहुंच जाएंगे.”