मुरादाबाद। डॉ. एसटी हसन को जिस तरह 2019 में लोकसभा का टिकट मिला था, ठीक वैसे ही इस बार उनका टिकट काटकर रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाया गया। 2019 में डॉ. एसटी हसन को आजम के करीबी होने पर नासिर कुरैशी का टिकट काटकर पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। वहीं, इस बार आजम खां की नाराजगी के चलते उनका टिकट कट गया। पूर्व मंत्री आजम खां वर्तमान समय में सांसद डॉ. एसटी हसन से नाराज चल रहे थे।
सांसद के समर्थकों का आरोप है कि इसी कारण उन्होंने अपनी करीबी बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा को टिकट देने के लिए पत्र लिखा था। पत्र को लेकर रुचि वीरा अखिलेश यादव के पास गईं। इसी आधार पर पूर्व विधायक रुचि वीरा को सपा सांसद के नामांकन के दो घंटे पहले टिकट दिया गया लेकिन सांसद को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। पार्टी के जिलाध्यक्ष डीपी यादव सहित अन्य पदाधिकारी सांसद के नामांकन में आए थे।
सांसद ने दावा किया कि वह गठबंधन के सहयोग से भाजपा को फिर हराएंगे लेकिन यह कवायद अधिक देर तक नहीं चल सकी। बरेली पहुंचने पर रुचि वीरा के करीबियों ने मुरादाबाद में कॉल कर कुछ लोगों को बताया कि उनको पार्टी का सिंबल मिल चुका है। इस बात की जानकारी मिलने पर सांसद घबरा गए।
सपा से सांसद डॉ. एसटी हसन का टिकट कटने के बाद समर्थकों ने आरोप लगाया कि सीतापुर जेल से साजिश रची गई। सांसद अपनों की राजनीति के शिकार हुए हैं। जेल से सब कुछ हो रहा है। गुस्साए लोगों ने रात में रुचि वीरा का पुतला फूंक दिया। उस समय रुचि वीरा सपा के पुराने पदाधिकारियों से संपर्क कर रही थीं।
सपा से टिकट कटने के बाद सांसद डॉ. एसटी हसन काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि इस बार वह मुरादाबाद लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। प्रचार के लिए पार्टी के नेताओं से बातचीत कर अन्य स्थान का चयन करेंगे। सांसद ने बताया कि उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष का पत्र तीन बजकर दो मिनट पर दिया गया यह पत्र पहले मिल जाता तो उनका टिकट पक्का हो सकता था। इधर चुनाव आयोग के निर्देशानुसार डीएम ने पत्र लेने का समय तीन बजे तक निर्धारित किया था।
अब रुचि वीरा ही पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी हैं। इसमें उनको कोई आपत्ति नहीं है। आरोप लगाया कि पत्र देर से भेजने के पीछे साजिश हो सकती है। उनका टिकट क्यों काटा गया, इसके बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेता ही बता सकते हैं। पार्टी नेतृत्व उनसे नाराज नहीं था। यदि नाराजगी रहती तो उनको लखनऊ बुलाकर टिकट ही नहीं दिया जाता। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने टिकट देने के साथ ही पार्टी के अन्य नेताओं को प्रचार के लिए निर्देश दिए थे। इसी आधार पर नामांकन किया। आज भी उनके लिए मुलायम सिंह यादव, आजम खां और अखिलेश यादव आइडियल हैं।