नई दिल्ली. भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आबादी 142.86 करोड़ हो गई है। वहीं, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने बुधवार को स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023 जारी की।
‘8 बिलियन लाइव्स, इनफिनिट पॉसिबिलिटीज: द केस फॉर राइट्स एंड चॉइस’ नाम से यह रिपोर्ट जारी की गई है। इसके जनसांख्यिकीय आंकड़ों का अनुमान है कि 34 करोड़ की आबादी के साथ अमेरिका तीसरे नंबर पर है।
यूएनएफपीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 25 फीसदी आबादी 0-14 आयु वर्ग में है, 10-19 में 18%, 10-24 में 26%, 15-64 में 68% और 65 से ऊपर 7% है। चीन के लिए यही आंकड़े 17%, 12%, 18%, 69% और 14% हैं। देश में 65 वर्ष से अधिक आयु के लगभग दो करोड़ लोग हैं।
1950 से संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या डेटा एकत्र करना और जारी करना शुरू किया था। तब से लेकर अब तक ये पहली बार है जब भारत की जनसंख्या चीन से ज्यादा हुई है। यूएनएफपीए के मीडिया और संकट संचार सलाहकार अन्ना जेफरीज ने कहा, ‘चीन की आबादी पिछले साल अपने चरम पर पहुंच गई और घटने लगी और भारत की आबादी बढ़ रही है, इसकी जनसंख्या वृद्धि दर 1980 से घट रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मातृ मृत्यु अनुपात (प्रति 100,000 जन्मों पर मृत्यु) 103 है। वहीं, भारत में पुरुषों और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा (जीवन जीने की औसत उम्र) क्रमशः 71 साल और 74 साल है। देश का यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) सर्विस कवरेज इंडेक्स में 61वां स्थान बताया गया है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति 1,000 असंक्रमित जनसंख्या में नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या 0.05 है।
संयुक्त राष्ट्र के विश्लेषण में कहा गया है कि अगले तीन दशक तक भारत की आबादी बढ़ने की उम्मीद है जिसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक भारत की जनसंख्या बढ़कर 166.8 करोड़ होने की उम्मीद है, जबकि चीन की आबादी घटकर 131.7 करोड़ हो जाएगी।
यूएनएफपीए के मुताबिक, बुजुर्ग आबादी का आकार (बड़े पैमाने पर दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में) 2030 तक लगभग दोगुना होकर 19.20 करोड़ तक पहुंच जाएगा। यूएनएफपीए ने कहा, 2050 तक हर पांचवां भारतीय बुजुर्ग होगा, इसलिए सभी का बराबर ध्यान रखने के लिए योजना बनाने की आवश्यकता होगी।
बुजुर्गों के स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता होगी। भारत की जनसंख्या जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती है। संयुक्त राष्ट्र के विश्लेषण से पता चला है कि केरल और पंजाब में बुजुर्ग आबादी है जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में युवा आबादी है।
यूएनएफपीए के लिए भारत की प्रतिनिधि और भूटान की कंट्री डायरेक्टर एंड्रिया वोजनर ने कहा, भारत की 1.4 अरब आबादी को 1.4 अरब अवसरों के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, सबसे बड़े युवा समूह वाला देश (15-24 आयु वर्ग के 254.15 मिलियन युवा) नवाचार, नई सोच और स्थायी समाधान का स्रोत हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, अगर महिलाओं और लड़कियों को समान शैक्षिक व कौशल निर्माण के अवसरों, प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचारों तक पहुंच और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अपने प्रजनन अधिकारों और विकल्पों का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए सूचना और शक्ति से लैस किया जाए, तो यह एक बड़े अवसर के रूप में सामने आ सकता है।
भारत में आजादी के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई। उस वक्त देश की आबादी 36.10 करोड़ थी। जो दस साल में बढ़कर 45.63 करोड़ हो गई। 1961 में चीन की आबादी 66 करोड़ थी। 1971 में भारत की आबादी 56.99 करोड़ तो चीन की आबादी 84.11 थी।
1981 में भारत की आबादी 71.28 करोड़ जबकि चीनी जनसंख्या 99.38 करोड़ थी। इस दौरान भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर 24.8 फीसदी थी। साल 1991 में भारत की आबादी 88.89 करोड़ और चीन की आबादी 105 करोड़ हो गई। वहीं, 2001 में भारत की आबादी भी सौ करोड़ को पार कर गई। देश की आबादी 108 करोड़ हो गई। इसी वर्ष चीन की जनसंख्या 127 करोड़ पहुंच गई।
2011 में भारत की आबादी 126 करोड़ हो गई थी। वहीं, 2011 में पड़ोसी देश चीन की जनसंख्या 135 करोड़ पहुंच गई। भारत में इस दौरान जनसंख्या की वृद्धि दर प्रति वर्ष 1.9 प्रतिशत थी। पिछले 50 वर्षों में जनसंख्या में इस जबरदस्त वृद्धि के लिए जिम्मेदार मुख्य कारक चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण मृत्यु दर में गिरावट आई लेकिन जन्म दर में कोई गिरावट नहीं देखी है। 2021 में भारत की आबादी बढ़कर 140.76 करोड़ हो गई। वहीं, चीन की जनसंख्या 141 करोड़ पहुंच गई।