ग़ाज़ियाबाद।   मुरादनगर के रेवड़ी रेवड़ा गांव में घरेलू कलह हंसते-खेलते परिवार का काल बन गई। पहले दो साल की मासूम बच्ची को मां ने जहर देकर मौत की नींद सुला दिया। इसके मां ने भी जहर खाकर जान दे दी। घर लौटने पर दोनों की हालत देख महिला का पति गहरे सदमे में आ गया। उसने खुद को आग के हवाले कर दिया। उसकी भी मौत हो गई।

घटना सोमवार की रात में हुई। पुलिस को इसकी खबर बुधवार को मिली। मौके पर पहुंची पुलिस को गांव के लोगों ने बताया कि सोमवार की रात में दो बजे उन्हें किसान अंकुर कुमार (24) की चीख सुनाई दी। वह चीखते हुए घर के बाहर की ओर आए। उन्होंने बताया कि पत्नी निशा (22) ने बेटी शालू (02) को जहर देकर मार दिया। इसके बाद उसने भी जहर खाकर जान दे दी।

मौके पर मौजूद रहे लोगों ने बताया कि उन्होंने अंदर जाकर देखा तो एक कमरे में निशा और शालू बेसुध पड़ी थीं। दोनों के मुंह से झाग निकल रहे थे। कमरे में बदबू आ रही थी। यह बदबू कीटनाशक की थी। वे लोग तीनों को अस्पताल ले गए। हालत गंभीर होने की वजह से अंकुर को मेरठ के लिए रेफर कर दिया गया। मां-बेटी का मोदीनगर के निजी अस्पताल में उपचार चला। दोनों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। अंकुर की भी अस्पताल में मौत हो गई।

एसीपी नरेश कुमार ने बताया कि एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत की सूचना पर पुलिस गांव में पहुंची। पता चला कि तीनों का दाह संस्कार कर दिया गया है। परिजनों की ओर से उनकी मौत की सूचना पुलिस को नहीं दी गई थी। गांव के लोगों से पूछताछ के आधार पर पता चला कि दंपती के बीच कलह रहती थी। घटना की वजह कलह ही मानी जा रही है। तथ्यों के आधार पर पुलिस की जांच चल रही है। कोई अन्य वजह सामने नहीं आई है। पुलिस को तहरीर भी नहीं मिली है।

पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि अंकुर और निशा की शादी तीन साल पहले हुई थी। दोनों के बीच कई बार विवाद होने की जानकारी मिली लेकिन यह इतना बड़ा नहीं था कि जिससे अनहोनी की आशंका पैदा हो। किसी ने नहीं सोचा था कि घर की कलह एक दिन पूरे परिवार को ही खत्म कर देगी।

इन दिनों लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए पुलिस गांव-गांव जाकर मुचलके पाबंद कर रही है। ऐसे में दो दिन तक इतनी बड़ी घटना की जानकारी न मिलने से पुलिस की सक्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दंपती और उनकी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल की ओर से मुरादनगर थाना पुलिस को सूचना (मेमो) नहीं भेजे जाने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर अस्पताल ने सूचना क्यों नहीं दी।

गांव में पुलिस की ओर से चौकीदार रखे गए हैं। इसके अलावा बीट के सिपाहियों की जिम्मेदारी भी हर छोटी-बड़ी घटना पर नजर रखने की है। उम्मीद की जाती है कि हलका इंचार्ज दरोगा के पास भी ऐसी जानकारी आनी चाहिए लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।