
मुजफ्फरनगर। बेहतर स्वास्थ्य के लिए आठ घंटे की भरपूर नींद जरूरी है। मगर, भागदौड़ भरी दिनचर्या ने नींद का सुकून तक छीन लिया है। मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से अनिद्रा के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है, जिसका असर लोगों की कार्य क्षमता पर पड़ रहा है। अनियमित जीवनशैली की वजह से अनिद्रा गम्भीर समस्या बन चुकी है।
जिंदगी देर रात तक व्हाट्सएप , फेसबुक, कम्प्यूटर गेम, इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन उलझ गई है, जिसके कारण पर्याप्त नींद लेना मुश्किल हो रहा है। न केवल कार्य क्षमता प्रभावित हो रही है, वहीं कम उम्र में डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अवसाद और दिल के रोगी बढ़ने लगे है। नींद के प्रति लापरवाही से बड़ी संख्या में युवा और बच्चे चिड़चिड़े हो रहे है।
डॉक्टरों का कहना है कि बहुत से लोग समझते है कि नींद न आना एक सामान्य दिक्कत है, लेकिन मत भूलिए ये एक गम्भीर समस्या है। नींद ना आने के पीछे गलत खानपान और तनाव भी वजह है। स्वस्थ जीवन के लिए नींद का महत्व समझना बेहद जरूरी है। ध्यान, प्राणायाम और योग से भी अनिद्रा से छुटकारा मिलता है। शरीर में हृदय गति, आक्सीजन की मात्रा संतुलित होती है। चिकित्सक मानते है कि नींद के समय में कमी से व्यक्ति जनलेवा बीमारियों की चपेट में आ रहा है। नींद की गड़बड़ी बुढ़ापा जल्दी आता है, नशे की आदतें बढ़ती है।
अनिद्रा की वजह
– देर रात में चाय, कॉफी और ठंडे पेय का प्रयोग
– खानपान में जंक फूड की बढ़ती मात्रा
– महिलाओं में मेनोपॉज की समस्या
– बढ़ता टेबिल वर्क और घटता व्यायाम
– सोशल मीडिया पर अधिक वक्त बिताना
कैसे आएगी अच्छी नींद
– सोने से पहले हाथ-पैर पानी से धोए
– जब सोना चाहे तो कोशिश करें कि आधा घंटा पूर्व मोबाइल ऑफ कर दें
– रात के खाने में तला-भुना न खाएं। सोने से 2 घँटे पहले भोजन कर लें।
– हल्का संगीत सुन सकते हैं
– आरामदायक और हल्के कपड़े पहनकर सोना बेहतर
मनोरोगों की एक वजह अनिद्रा भी है। जीवनशैली की तब्दीली तथा सोशल मीडिया की व्यस्तता में नींद पूरी नहीं होती, जिससे धीरे-धीरे अनिद्रा की बीमारी हो जाती है। लंबे समय तक ये स्थिति घातक हो सकती है।
अनिंद्रा की स्थिति में नींद की गोलियों की मांग भी बढ़ी है। जिला अस्पताल समेत प्राइवेट डॉक्टरों के यहां ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिन्हें नींद नहीं आने की शिकायत रहती है। बाजार में बिना डॉक्टरों की सलाह के भी नींद की गोलियों का सेवन किया जा रहा है।
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