करनाल. हर बार बजट तो करोड़ों का पास हो जाता है लेकिन धरातल पर इसका असर कम ही दिखाई देता है। चुनाव के समय महंगाई नियंत्रित रहती है, जैसे ही चुनाव खत्म होते हैं महंगाई आसमान छूने लगती है। प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं और बच्चों के विकास तथा सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। फिर भी कुपोषण को कम करना और उनके विकास के लिए संस्थागत तंत्र को अभी और मजबूत करना होगा। सरकार बजट में महंगाई को कम करने की कोई ठोस योजना लाए तो उसका फायदा गरीब और मध्यवर्गीय परिवार को मिल सकता है। नहीं तो कई वर्षों से बजट में बहुत कुछ दिखाया जाता है लेकिन आम आदमी तक ठीक से नहीं पहुंच पाता।
बजट में कई योजनाओं की घोषणाएं तो की गई है लेकिन घरेलू महिलाओं को भी ध्यान में रखकर योजनाएं बने तो बहुत बेहतर होगा, क्योंकि प्रदेश का बजट बने या बिगड़े हमारा बजट जरूर बिगड़ जाता है।
– संतोष
पहले पेट्रोल डीजल के चलते कहीं भी आने-जाने में ज्यादा किराया लगता था लेकिन अब तो ई रिक्शा भी बहुत महंगा पड़ता है। सरकार कहती है पेट्रोल-डीजल के वाहन छोड़ो और ई-वाहन अपनाओ।
– पुष्पा
बजट का क्या करें। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली कहावत भी बदलती जा रही है। आमदनी तो लगातार घट रही है। खर्चा लगातार बढ़ रहा है। सरकार युवाओं को रोजगार दे तो कुछ बात बने।
– अग्रेंजो
आम आदमी तो बेहाल है। किसी की भी सरकार आए निजी स्कूलों पर कोई लगाम नहीं लगा पाई। महामारी के दौरान भी लोगों ने स्कूल की फीस भरी और पढ़ाई के नाम पर बच्चों के हाथ कुछ नहीं लगा।
– नीलम
सरकार द्वारा हर बार के बजट में बेटियों के लिए कई तरह की योजनाएं आती हैं। लेकिन हम आए दिन लड़कियों को रोडवेज की बसों में किसी सामान की तरहा भरा देखते हैं तो बहुत बुरा लगता है।
– अंगूरी देवी
शिक्षा के नाम पर केंद्र व प्रदेश के बजट में लाखों करोड़ों खर्च होते हैं। उसके बाद भी युवाओं को विदेशों में शिक्षा के लिए जाना पड़ता है। यूक्रेन में फंसे अपने-अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर डर लगा रहता है।
– विद्या
बजट में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन महंगाई कम नहीं होती। सरसों का तेल दो सौ के करीब, दालें 100 ये 150 रुपये और अब बच्चों के लिए सबसे जरूरी दूध भी 60 से 100 रुपये के करीब पहुंच चुका है।
– शशि
युवाओं को रोजगार देने की दिशा में सरकार काम करे तभी सही मायनों में देश, प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जब युवाओं के पास सैलरी के रूप में पैसा आएगा तो बाजार में खर्च भी होगा।
– सुदेश
महामारी में कमजोर वर्ग पहले ही टूट चुका है। ऊपर से स्कूल की फीस ने और बेहाल कर दिया है। सरकार द्वारा जारी बजट में इस दिशा में कुछ राहत दिखाई दी। बच्चों के लिए अब जरूरी मोबाइल फोन का रिचार्ज भी महंगा होता जा रहा है।
– रीटा
स्वास्थ्य के नाम पर खर्च तो बहुत होता है। लेकिन कमजोर वर्ग के लोगोेें के लिए जारी आयुष्मान कार्ड का क्या फायदा। यह ऑपरेशन के दौरान तो काम आता है लेकिन दवाओं की सुविधा नहीं मिलती।
– सुमन देवी
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में दूसरे बच्चे को जोड़ना सराहनीय कदम है। पहले इस योजना में एक ही बच्चे पर लाभ मिलता था। अब दूसरे पर भी मिलेगा। इससे गर्भवती महिला की सेहत भी ठीक रहेगी।
– सपना
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जिस तरह कदम उठाए जा रहे हैं उसी तरह किन्नरों को भी आगे आने का मौका मिलना चाहिए और उनकी सहायता की जानी चाहिए। क्योंकि जब भी किन्नर आगे आती है तो उसे पीछे कर दिया जाता है यह अशोभनीय है।