नई दिल्ली । आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने अपने सभी तीर कमान दुरुस्त करने शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में भाजपा दक्षिण भारत से मिशन को मजबूती दे रही है। भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक दक्षिण भारत में पार्टी इस बार मजबूत सीटों के साथ आमद दर्ज करना चाहती है।
भाजपा ने चुनाव से पहले एक बार फिर से ‘मिशन दोस्ती’ के तौर पर पुराने लोगों को जोड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इस मिशन में भाजपा उन सभी दलों को शामिल करने की बड़ी योजना में है, जो कभी एनडीए का हिस्सा हुआ करते थे। जानकारी के मुताबिक मिशन दोस्ती में जुड़ने का सिलसिला दक्षिण भारत से शुरू होने वाला है, जिसमें आंध्र प्रदेश जैसा महत्वपूर्ण राज्य शामिल है। यहां टीडीपी से भाजपा का समझौता होना तय माना जा रहा है। वहीं उत्तर भारत में पंजाब से एक बार फिर भाजपा और अकाली दल एक साथ सियासी मैदान में गठबंधन के साथ उतर सकती है। जबकि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न की घोषणा के साथ अब राष्ट्रीय लोकदल का भाजपा के साथ आना तय माना जा रहा है।
आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने अपने सभी तीर कमान दुरुस्त करने शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में भाजपा दक्षिण भारत से मिशन को मजबूती दे रही है। भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक दक्षिण भारत में पार्टी इस बार मजबूत सीटों के साथ आमद दर्ज करना चाहती है। इसीलिए पुराने दोस्तों को अपने साथ जोड़ने वाला दांव चल रही है। भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पार्टी अगले सप्ताह तक आंध्रप्रदेश की तेलगु देशम पार्टी से समझौता होने का अनुमान है। इस संबंध में टीडीपी के नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की भाजपा के बड़े नेताओं से मुलाकात भी हो चुकी है। दरअसल 2014 में भाजपा और टीडीपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था।
सियासी जानकारों की मानें तो भाजपा दक्षिण भारत का किला फतह करने के लिए सभी दांव आजमा रही है। इसमें पार्टी तेलंगाना से लेकर आंध्र प्रदेश में उन सभी पुराने दोस्तों के साथ गठबंधन में जाएगी, जिससे विधानसभा और पहले के लोकसभा चुनाव में आपसी करार हुआ था। राजनैतिक जानकार अनूप सिरोही कहते हैं कि दक्षिण में तेलंगाना को जनसेना और टीडीपी के बीच आपसी करार हुआ है। चूंकि जनसेना भाजपा के साथ तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में सियासी ताल ठोक चुकी है, ऐसे में अगर टीडीपी और भाजपा मिलकर एकबार फिर चुनाव लड़ते हैं, तो दक्षिण के इन दो राज्यों में भाजपा के लिए सियासत और आसान हो सकती है। सिरोही के मुताबिक भाजपा अपने पुराने दोस्तों को जोड़ने की पूरी फील्डिंग सजा चुकी है।
भाजपा ने सिर्फ दक्षिण में ही फील्डिंग नहीं सजाई है। बल्कि चुनावी माहौल में उत्तर के राज्यों में भी सियासी बिसात बिछा दी है। यहां भी भाजपा अपने पुराने सियासी साझेदारों को जोड़ रही है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा की पंजाब में अकाली दल के साथ एक बार फिर से गठबंधन होने की संभावनाएं बन रही हैं। जानकारों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से दोनों के बीच सियासी सरगर्मी बढ़ी है। वरिष्ठ पत्रकार मनजोत सिंह लाडी कहते हैं कि शुरुआती दौर में इस बात का अनुमान था कि बसपा के साथ लोकसभा चुनाव में अकाली दल आ सकता है। अब जिस तरह की सियासी हलचल हो रही है, उससे माना जा रहा है कि भाजपा और अकाली दल जल्द ही एक हो सकते हैं।
सिर्फ पंजाब और आंध्र समेत तेलंगाना में ही नहीं, बल्कि भाजपा ने यूपी में भी सियासी दांव लगाया है। यहां पर भाजपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल के साथ तकरीबन समझौता तय हो चुका है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक राष्ट्रीय लोकदल भी एनडीए की साझीदार रही है। अब आने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल एक बार फिर से सियासी मैदान में उतरने वाले हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक सियासी समीकरणों में जयंत चौधरी और भाजपा की सियासी तारतम्यता पहले से ही मजबूत हो रही थी। अब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के साथ ही गठबंधन की संभावनाएं और मजबूत हो गई हैं।