नई दिल्ली. टी20 क्रिकेट में पहली गेंद से ही बल्लेबाज के पास खुलकर खेलने का लाइसेंस होता है. इस फॉर्मेट में बल्लेबाज ने कितने रन बनाए, उससे ज्यादा अहम यह होता है कि रन कितनी गेंदों पर आए. बीते 1 साल में एक बल्लेबाज इन दोनों पैमानों पर खरा उतरा है. वो पहली ही गेंद से गेंदबाजों में खौफ भर रहा है और उसका स्ट्राइक रेट भी गजब का है. उस बल्लेबाज की एक और खूबी, जिसने बीते 1 साल में उसे टी20 का सबसे बड़ा मैच फिनिशर भी बना दिया है. बल्लेबाज की इस खूबी पर से पर्दा उठाएं, उससे पहले उसका नाम आपको बता देते हैं. यह बल्लेबाज हैं ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर मैथ्यू वेड.
पिछले साल टी20 वर्ल्ड कप से वेड का जो बल्ला चलना शुरू हुआ, वो अब तक जारी है. भारत के खिलाफ पहले दोनों टी20 में वेड ही ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े लड़ैया बनकर उभरे. दोनों ही मुकाबलों में वेड ने 215 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए और दोनों बार नॉट आउट रहे. यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है, जिसने विरोधी टीमों की नींद हराम कर रखी है. वेड एक बार क्रीज पर जम जाते हैं तो फिर उन्हें आउट करना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं रहता. वो तेजी से रन बनाने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया के निचले क्रम में आकर मैच फिनिश भी कर रहे हैं.
इसका सबूत है वेड का रिकॉर्ड. वो पिछले साल पाकिस्तान के खिलाफ टी20 विश्व कप सेमीफाइनल के बाद से सिर्फ एक बार टी20 में आउट हुए हैं. उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप के सेमीफाइनल में नाबाद 41 रन की पारी खेली थी. उनकी बदौलत ही ऑस्ट्रेलिया की टीम फाइनल में पहुंचीं थी और फिर न्यूजीलैंड को हराकर खिताब जीता था.
इसके बाद से ही इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने टी20 में 7 पारी खेली है. इसमें से सिर्फ एक में आउट हुए हैं. बाकी 6 में वो नाबाद रहे हैं. इन 7 पारियों में वेड ने 187 रन बनाए हैं. इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 170 से ऊपर का रहा है और ऑस्ट्रेलिया ने इसमें से आधे मैच भी जीते हैं. वेड रविवार को एक बार फिर हैदराबाद के खिलाफ तीसरे टी20 में खेलने उतरेंगे. ऐसे में ऑस्ट्रेलिया से वेड को पिछले दो मुकाबले जैसे प्रदर्शन की उम्मीद होगी.
वेड अगर आज टी20 के बेस्ट फिनिशर माने जाते हैं, तो इसके पीछे उनके खेल से ज्यादा लड़ने का जज्बा है. जब वो 16 साल के थे, तब वे टेस्टीकुलर कैंसर का शिकार हो गए थे. उन्हें कीमोथेरेपी से गुजरना पड़ा था. ठीक होने के बाद जब 19 साल की उम्र में क्रिकेट करियर शुरू किया, तो उन्हें एक और बड़ा फैसला करना पड़ा. वो होबार्ट से मेलबर्न चले गए. क्योंकि उन्हें यह एहसास हो गया था कि तस्मानिया की तरफ से खेलने की राह में टिम पेन से उन्हें कड़ी टक्कर मिलेगी. हालांकि, तमाम संघर्षों से लड़कर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की टीम में जगह बनाई और बीते 1 साल में टी20 में सबसे बड़े मैच फिनिशर के रूप में उभरे हैं.