सहारनपुर। गन्ने की कोशा- 0238 प्रजाति में लाल सड़न सहित अन्य रोगों के बढ़ते प्रकोप के चलते गन्ना विभाग प्रजाति बदलाव में जुट गया है। इसके लिए जनपद को गन्ना शोध केंद्रों से कई नई और उन्नतशील प्रजातियों के बीज का आवंटन हुआ है। इससे आधार और प्राथमिक पौधशालाएं स्थापित की जा रही हैं।
जनपद के कुल गन्ना क्षेत्रफल में करीब 90 प्रतिशत कोशा-0238 प्रजाति की खेती हो रही है। अच्छी पैदावार देने वाली गन्ने की इस प्रजाति में लाल सडन आदि रोगों का प्रकोप बढ़ने का असर न सिर्फ इसकी उत्पादकता पर पड़ रहा है बल्कि कीटनाशकों का अधिक प्रयोग होने से इसकी लागत भी बढ़ रही है। इसके चलते गन्ना विभाग प्रजाति बदलाव करने में जुट गया है। इसके लिए गन्ना शोध संस्थानों से नई एवं उन्नतशील प्रजातियों का आवंटन हुआ है। अगेती प्रजातियों में कोलक-14201, को-15023, कोशा-13235,कोशा-13231 आदि शामिल हैं। सामान्य प्रजातियों में कोशा-12232, कोशा-8279, को-12029, कोसे-11453, को-05011 प्रमुख हैं।
उन्नतशील प्रजातियों का बीज गन्ना शोध केंद्र मुजफ्फरनगर, गन्ना शोघ केंद्र शाहजहांपुर आदि से आवंटित हुआ है। नई और उन्नतशील प्रजातियों की इस बीज से जनपद में किसानों के यहां आधार एवं प्राथमिक पौधशालाएं तैयार होंगी। अगले वर्ष पौधशालाओं से इस बीज को किसानों को बुआई के लिए दिया जाएगा।
प्रजाति बदलाव के लिए जनपद को बसंतकालीन गन्ना बुआई के लिए गन्ना शोध संस्थानों से 10.770 लाख सिंगल बड़ (आंख) आवंटित हुई हैं। इसके अलावा 1415 क्विंटल गन्ना बीज का आवंटन भी हुआ है। जनपद में नई और उन्नतशील प्रजातियों की बुआई चल रही है। – सुशील कुमार, जिला गन्ना अधिकारी।